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Wednesday, June 6, 2018

घातक सिद्ध हो रहा है निपाह वायरस, जरूर पढ़े

मानव समाज में कई अनगिनत समस्याएं आती है जिनमे से सबसे बड़ी समस्या के तौर पर "रोग या बीमारिया" ही होती है क्योकि जब कोई व्यक्ति कभी बीमार होता है तो न केवल वह बल्कि उसका समस्त परिवार उसके प्रभाव से प्रभावित होता है खाशकर तब जब बीमारी या रोग संक्रामक, घातक और लाइलाज हो। चिकित्सा पद्धति में निरंतर विकास के साथ साथ समाज में नयी नयी बीमारिया भी बढ़ रही है जिसके कई कारण हो सकते है जिनमे से विशेष कर प्रदुषण ही एक प्रभावी कारण होता है। परन्तु आज कल एक विशेष प्रकार की बीमारी का प्रभाव देश के कुछ कोनों में अथवा अन्य देशो में देखा गया है जो की एक विशेष वायरस जिसका नाम "निपाह" है के द्वारा फैल रहा है। अभी हाल ही में भारत के केरल और कुछ राज्यों में इसके प्रभाव को देखा गया है।

ये निपाह वायरस क्या है?
"निपाह वायरस इन्फेक्शन" नामक रोग निपाह नामक वायरस से संक्रमित होने पर होता है, इस वायरस से संक्रमित होने का पहला मामला सिंगापुर-मालिशिया में सन 1998 और 1999 में देखने को मिला था। निपाह वायरस एक RNA टाइप का वायरस है जो कि जानवरो और मनुष्यो दोनों को प्रभावित कर सकता है। यह कुछ विशेष जानवरो जैसे चमकादड़, सूअर अथवा अन्य  पशुओ के माध्यम से मनुष्यो में फैलता है। इस वायरस से संक्रमित होने पर व्यक्ति के शरीर में अनगिनत प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है जिनसे व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है। यह रोग विशेषकर फल खाने वाले चमकादड़ो से मनुष्यो तक फ़ैल रहा है। बांग्ला देश में सन 2004 में इस रोग से अनगिनत लोग प्रभावित हुए।

निपाह वायरस के संक्रमण से उत्पन्न समस्याएं अथवा लक्षण:
इससे संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण के 1-5 दिनों के अंदर ही कुछ लक्षण विशेषकर तीव्र ज्वर, सर दर्द, मानसिक भ्रम व समझ में कमी होने के साथ साथ कोमा में चले जाना आदि है और सबसे गंभीर स्थिति में रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। मलेशिया और सिंगापुर में तो इसके कारण 50 प्रतिशत तक रोगियों की मृत्यु भी हो गयी।

उपचार एवं बचाव: निपाह वायरस के इन्फेक्शन का अब तक कोई असरकारक दवा का पता अभी तक नहीं लगा है कुछ शोधो और उपचार में इसके लिए अभी तक "रिबावायरिन"नामक दवा के प्रभाव को सार्थक पाया गया है परन्तु इससे बचने का सबसे सही उपाय संक्रमण से बचे रहने के लिए सावधानी बरतना ही है। इसके लिए यह ध्यान रखना आवश्यक है कि किसी भी फल जिसे किसी पक्षी या पशु ने कुतरा हो उसे न खाये, फलो को अच्छी तरह से धूल कर ही खाये।फलो से बनने वाले जूस या नशीले पेय पदार्थ जैसे ताड़ी, शराब अादि का सेवन न करे।पशुओ और पक्षियों से ज्यादा नजदीकी संपर्क में न रहे, सुअर या अन्य पशुओ के मांश खाने से बचे जिन्हे संक्रमण हो या जिनसे संक्रमण हो सकता है।

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