SOCIAL DOCTOR SHIV PRAKASH

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Sunday, November 26, 2017

क्रोध प्रबंधन - क्रोध पर नियंत्रण कैसे पाए

क्या आपको अधिक क्रोध या गुस्सा आता है?
गुस्से पर नियंत्रण नहीं कर पाते है ?
तो जरूर पढ़े
प्रत्येक व्यक्ति के मन में हर क्षण कोई न कोई भाव या संवेदना जन्म लेती है, उन्ही संवेदनाओ में से एक है क्रोध करना। वास्तव में क्रोध कोई स्थायी भाव नहीं होता है यह व्यक्ति में तब जन्म लेता है जब उसके साथ कोई दुर्व्यवहार करता है, उसके कार्यो में बाधा बनता है, या फिर व्यक्ति की अपेक्षाओ के विपरीत जब भी कुछ होता है तब उसे क्रोध आता है। आपको भी क्रोध तो आता ही होगा, परन्तु जब यह क्रोध किसी में सामान्य से अधिक आता है तो उसके लिए यह क्रोध कभी कभी बड़ा ही अहितकारी सिद्ध होता है। इसी लिए शास्त्रों में क्रोध को नकारात्मक भाव या संवेदना के रूप में बताया गया है। क्रोध की अवश्था में व्यक्ति सही-गलत का निर्णय नहीं ले पता है और प्रायः उससे भूल हो जाती है जिसका आभास उसे क्रोध के शांत होने के बाद पता चलता है। यदि आपको भी अधिक क्रोध आता है और आप अपने क्रोध पर नियंत्रण पाने में स्वयं को असमर्थ  पाते है तो हम आपके लिए आपकी इस समस्या का समाधान लेकर आये है। 

क्रोध जब नियंत्रण से बाहर होता है तो आप पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
क्रोध से आप पर कई प्रकार के प्रभाव पड़ते है जिनमे से कुछ निम्नलिखित है;
  1. क्रोध से शारीरिक स्वश्थ पर प्रभाव-: क्रोध से आपके स्वस्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। क्रोध जब नियंत्रण से बहार होता है या बार-बार क्रोध करते है हो इससे शरीर के विभिन्न अंगो के कार्यप्रणालियों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्रोध की अवस्था में व्यक्ति के ह्रदय गति और रक्त संचार की गति काफी तीव्र हो जाती है जो आगे चल कर हृदय रोग जैसी समस्या में बदल जाती है जिनमे उच्च रक्त चाप, हाइपरटेंशन, आदि कुछ समस्याएं आती है। इसके अतिरिक्त मधुमेह, प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी आदि समस्याये भी इससे होती है। 
  2. क्रोध से मानसिक स्वास्थ पर प्रभाव-: अत्यधिक क्रोध शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे अनिद्रा, दुश्चिंता, तनाव, विस्मरण, एकाग्रता में अस्थिरता, अवसाद या विषाद, जैसी कई मानसिक रोग हो सकते है।
  3. क्रोध से व्यवसाय पर प्रभाव-: अत्यधिक क्रोध आने से जहा एक ओर व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है जो उसके और उसके क्लाइंट के साथ व्यव्हार को प्रभावित करता है वही दूसरी ओर यह व्यक्ति के रचनात्मक क्षमता और कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है जो आगे चलकर व्यवसाय व नौकरी में असफलता का कारण बनता है। 
  4. पारिवरिक व वैवाहिक जीवन पर प्रभाव-: अत्यधिक क्रोध करने से व्यक्ति के पारिवारिक व वैवाहिक जीवन  भी प्रभावित होता है जो कलह, मनमुटाव, अविश्वास, शक, को जन्म देता है। परिवार में हमेसा अशांति रहती है। अधिकांश मामलो में क्रोध के कारण ही विवाह विच्छेद या तलाक होता है। 
क्रोध पर नियंत्रण कैसे करे?
उपरोक्त के आधार पर अपने देखा की क्रोध आप के जीवन को कैसे प्रभावित करता है। अब आपको यह जानने जी आवश्यकता होगी कि आप क्रोध को कैसे नियंत्रित रख सकते है। क्रोध को नियंत्रित रखने के लिए आपको निम्नलिखित विधियों का पालन करना होगा;
  1. क्रोध के संकेतो की पहचान -: क्रोध को नियंत्रित रखना चाहते है तो आप पहले इसके संकेतो को पहचानना होगा और जब आपको लगे ये संकेत आपमें है तब आप करोड़ को नियंत्रित करने वाली विधियों का पालन शुरू कर देना होगा। क्रोध के कुछ संकेत इस प्रकार है; पेट में ऐठन, दांत पीसना या रगड़ना, साँस का तेज़ होना, ह्रदय गति बढ़ना, मासपशियों का तन जाना , ध्यान स्थिर न रहना आदि। 
  2. क्रोध को बढ़ाने वाले विचारो पर नियंत्रण और नकारात्मक विचारधारा में परिवर्तन-: आपकी विचारधारा में ही कुछ ऐसे नकारात्मक तत्त्व होते है जो आपके क्रोध की आग को और बढ़ाते है जो विशेष कर नकारात्मक विचार होते है जिनमे से कुछ इस प्रकार है जैसे; "हर काम के लिए लोग मुझे ही जिम्मेदार ठहराते है, हमेसा मै ही गलत क्यों होता हूँ , क्या मैं कोई अच्छा काम नहीं करता हूँ, आखिर मैं ही क्यों, आदि कई ऐसे विचार ही जो हमारे क्रोध  को बढ़ाते है। व्यक्ति को इन्ही नकारात्मक विचारो में परिवर्तन करना चाहिए। 
  3. क्रोध आने पर व्यक्ति को तुरंत ही उस स्थान से हट जाना चाहिए जहा पर उसे क्रोध आ रहा हो, और किसी शांत स्थान पर जाकर स्वयं को शांत करने का प्रयास करना चाहिए। 
  4. क्रोध आने पर श्वास की गति बढ़ी जाती है इस समय गहरी साँस ले कर श्वास की बढ़ी हुई गति को कम करने का प्रयास करना चाहिए। श्वास की गति मंद पड़ने पर  क्रोध स्वतः ही कम होने लगता है। 
  5. क्रोध की अवस्था में स्वयं का ध्यान उस जगह से हटाने का प्रयास करना चाहिए जिसकी वजह से क्रोध आ रहा है। और अपना ध्यान किसी अन्य विन्दु पर लगना चाहिए, इस दौरान आप मन में कई अच्छी बात सोच कर स्वयं को शांत करने का प्रयास करना चाहिए। इस दौरान आप मन में गिनती (1- 20 तक ) गिनना चाहिए या मन में कोई गीत गुनगुना चाहिए। 
  6. ध्यान दे क्रोध का ये भाव बहुत देर तक नहीं रहता है आप यदि अपने ध्यान को कुछ देर तक किसी अन्य विन्दु पर लगते है तो आप अपने क्रोध पर नियंत्रण पा सकते है। इस दौरान आप गहरी साँस लेकर धीरे धिरे छोड़े ताकी क्रोध के कारण उत्पन्न तनाव, ह्रदय गति में वृद्धि, आदि सामान्य हो सके। कुछ प्रयास करने के साथ-साथ आप अपने क्रोध पर नियंत्रण पा लेंगे। यदि इसके पश्चात् भी आप इसमें सफल नहीं हो पते है तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप किसी साइकोलोजिस्ट, साइकेट्रिस्ट, या कौन्सेलेर से मिले जो मनोचिकित्सा विधि से आपकी समस्या समाधान कर देंगे। 
क्रोध कोई अपने आप में समस्या नहीं है क्रोध भी हमारे स्वभाव का ही हिस्सा है बस समस्या तो तब होती है जब क्रोध हमारे नियन्त्र में नहीं बल्कि हम क्रोध के नियंत्रण में आ जाते है। अतः हमें चाहिए कि हम स्वयं को इस  प्रकार से ढले कि हम हमारी भावनाओ और इच्छाओ पर नियंत्रण रख सके ता कि हम कभी भी इनके कारण समस्या में न पड़े। स्वस्थ व  सफल जीवन के लिए व्यक्ती को अपनी संवेदनाओ और भावनाओ पर नियंत्रण रखना चाहिए। आशा करते है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा। हम आपके लिए और भी रोचक जानकारिया लाते रहेंगे। यदि आपको ये लेख पसंद आया हो तो अपने मित्रो को भी इसे पढ़ने की सलाह दे। 

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