नकारात्मक विचारो पर नियंत्रण पाने का मंत्र
व्यक्ति के मन में कभी न कभी नकारात्मक विचार आते ही है पर कभी कभी ये नकारात्मक विचार मन में लगातार आने लगते है जिसे हम रोकना तो चाहते है पर रोक नहीं पाते है। इन नकारात्मक विचारो की वजह से जहाँ एक ओर व्यक्ति सदैव विचलित रहता है वही इसकी वजह से व्यक्ति में निरंतर आत्मविश्वास, सहनशीलता, समायोजन क्षमता, ध्यान लगाने की क्षमता, आदि में ह्रास होने लगता है और जिसकी वजह से व्यक्ति प्रायः असफल होता रहता है। ये नकारात्मक विचार व्यक्ति के मन इतना हावी होते जाते है कि वह इन पर नियंत्रण पाने में भी असफल होता जाता है जो कुछ समय के पश्चात् व्यक्ति को शरीरिक और मानसिक विकारो से ग्रस्त कर देता है। इससे व्यक्ति का समस्त व्यव्हार दिनचर्या, व्यक्तिगत सम्बन्ध, और व्यवसाय आदि सब प्रभावित होता है फिर ऐसे में उस व्यक्ति को इस समस्या से बाहर आने में भी काफी समय लगता है।
कुछ नकारात्मक विचार-:
- मुझ से नहीं हो पायेगा।
- मै अयोग्य और नाकारा हूँ।
- ये मेरे लिए बहुत ही कठिन है।
- मुझसे गलती हो गयी तो लोग मुझ पर हसेंगे।
- दुसरो की भाति मै उतना समझदार नहीं हूँ।
- मेरा तो भाग्य ही ख़राब है।
- मेरा जन्म लेना ही व्यर्थ है, मुझे तो मर जाना चाहिए।
इन सबकी ही भाति व्यक्ति के मन में अनगिनत प्रकार के नकारात्मक विचार आते है। जिनसे वह निरंतर परेशान रहता है और उसे ये समझ नहीं आता है कि वह क्या करे और क्या न करे, हमेसा इसी उलझन में निरंतर परेशान रहता है। अब यह प्रश्न उठता है "व्यक्ति इन नकारात्मक विचारो पर नियंत्रण कैसे पाए?" तो हम आपको बता दे कि मनोविज्ञान की एक मनोचिकित्सा विधि जिसे हम संज्ञानात्मक चिकित्सा विधि (कॉग्निटिव थेरेपी) कहते है, इसके माध्यम से इस समस्या का पूर्णतः इलाज संभव है। इसी विधि के कुछ तत्वों का हम यहाँ व्याख्या कर रहे है जिनका पालन कर के आप इनसे बाहर आ सकते है।
नकारात्मक विचारो पर नियंत्रण पाने की विधि-:
यदि आप या आपके किसी प्रिय जान को यह समस्या है तो आपको इन नकारात्मक विचारो पर नियंत्रण पाने के लिए आपको कुछ सोपनो (स्टेप्स) का अनुसरण करना होगा जो निम्नवत है-: (नोट-: इन सोपानों को एक ही बार में प्रयोग करने मात्र से आप नकारात्मक विचार पर नियंत्रण नहीं पा सकते है आपको लगभग ५ सप्ताह तक की एक अनुसूची (योजना) बनाकर, उसका अनुसरण विधि पूर्वक करना होगा।)
- नकारात्मक विचारो की सूची तैयार करे-: सर्वप्रथम आप एक कागज पर उन सभी नकारात्मक विचारो की एक सूची तैयार करे जो आपके मन में निरंतर आ कर आपको विचलित करती है। सूची तैयार करते समय आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि कौन सा नकारात्मक विचार आपके मन में ज्यादा समय तक रहता है और कौन सा कम। और इनकी आवृति के अनुसार बढ़ते हुए क्रम में उन्हें लिखे ताकि उनके समाधान के लिए आपको योजना बनाने में आपको सहायता मिले।
- प्रतिद्वंदी सकारात्मक विचार-: प्रत्येक नकारात्मक विचार के लिए एक उसकी प्रतिद्वंदी सकारात्मक विचार को उसके समक्ष लिखे। उदाहरण के लिए जैसे यदि आपके मन में ये नकारात्मक विचार बराबर आता है कि "ये मुझसे नहीं हो पायेगा" तो आप उसके समक्ष एक उसकी प्रतिद्वंदी सकारात्मक विचार जैसे "मै ये कर सकता हूँ और मुझे खुद पर पूरा विश्वास है" , इसी प्रकार से आप सकारात्मक विचारो की भी एक सूची तैयार कर ले। जिन्हे आपको हमेसा याद करना और मन में दोहराना होगा। और जब कोई नकारात्मक विचार मन में आये तो आप अपने मन में उस नकारात्मक विचार की प्रतिद्वंदी सकारात्मक विचार को बार-बार दोहराना होगा। इस प्रकार आपका स्वयं पर विश्वास बढ़ेगा और धीरे धीरे आप उस विचार पर नियंत्रण पा लेंगे।
- क्रमबद्ध रूप से नकारात्मक विचारो का दमन-: प्रत्येक नकारात्मक विचार को उसकी प्रभावशीलता के आधार पर जैसा की अपने अपनी सूची बनाते वक्त किया था, उन्हें उनकी आवृति के अनुसार बढ़ते हुए क्रम में लिखा था उसी आधार पर उनका दमन भी करना होगा। सर्वप्रथम कम प्रभावी नकारात्मक विचार पर नियंत्रण स्थापित करे फिर उससे अधिक प्रभावी विचार पर। यह भी ध्यान दे कि प्रत्येक नकारात्मक विचार पर नियंत्रण पा लेने की एक समयावधि भी निर्धारित करे और उसी अवधि के अंदर उस लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करे। और प्रत्येक लक्ष्य की प्राप्ति के पश्चात् सूची से उन नकारात्मक विचारों का नाम काटते जाये जिन पर अपने नियंत्रण पा लिया है। अंत में जब आप सभी पर विजय पा चुके हो तब आप उस सूची को फाड़ दे और भविष्य में उनसे फिर कभी प्रभावित नहीं होंगे ऐसा स्वयं को वचन दे।
- स्वयं में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास-: यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है इस विधि का जिसमे आप अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करना सीखते है। सकारात्मक दृष्टिकोण से हमारा आसय है एक ऐसी विचारधारा का निर्माण करना जिससे आप स्वयम में आत्मविश्वास, आत्मनियंत्रण, आत्मबोध और आशावादिता आदि का विकास कर सके और जिससे आप नकरात्मकता के जाल में पुनः न फस सके। याद रखे आपका दृष्टिकोण जितना ही अधिक सकारात्मक होगा आप नकारात्मकता से उतना ही स्वयं को दूर रखने में समर्थ सिद्ध होंगे।
इस प्रकार आप यदि एक निर्धारित योजना के तहत क्रमबद्ध ढंग से प्रयास करे तो नकारात्मक विचारो पर पूर्ण नियंत्रण पा सकते है। फिर भी यदी आप ऐसा करने में असफल हो जाते है तो आपको घबराने की जरुरत नहीं है धैर्य रखे और अपने नजदीकी किसी मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्स्किय समाज कार्यकर्ता (कॉउंसलर) से मिले। जो आपकी समस्या के विशेषज्ञ होते है और आपको समस्या से पूर्ण रूप से बाहर लाने में सक्षम होते है जिनकी सहायता और मार्ग दर्शन से आप अपनी समस्या से शीघ्र-अतिशीघ्र बाहर आ जायेंगे।
अधिक जानकारी के लिए हमसे जुड़े-:
No comments:
Post a Comment