SOCIAL DOCTOR SHIV PRAKASH

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Saturday, November 18, 2017

Healthy Sleeping Hours-in Hindi



प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए उसे उसके शरीर की कुछ  महत्वपूर्ण आवश्यक्ताओ का सही समय पर पूरा करना अति आवश्यक है जैसे कि भूक, प्यास, स्वच्छता, व्यायाम, और नींद। जिसमे से हर किसी का समय पर पूरा होना उसके लिए विशेष रूप से आवश्यक अति आव्यश्यक है। प्रायः लोग इन को लेकर लापरवाही करते रहते है जो आगे चलकर उन्हें विभिन्न प्रकार के रोगो से ग्रस्त करती है। विशेषकर आज के भागम-भाग के दौर में लोग नींद को लेकर ज्यादा ही लापरवाही करते है। कही कोई अधिक कार्यो व जिम्मेदारियों के कारण सही समय तक सो नहीं पाता है तो कही कोई अधिक रात तक टीवी देखने, फ़ोन के प्रयोग करने, पढ़ाई करने, आदि कार्यो के कारण जगता ही रहता है, इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे भी होते है जो जरुरत से ज्यादा देर तक सोते  रहते है। आपको यह जान कर हैरानी होगा कि जरुरत से ज्यादा या कम समय सोने से आपको भविष्य में तरह-तरह रोग हो सकते है। 

अब आपके मन में यह प्रश्न आ रहा होगा की आखिर सामान्य रूप से एक व्यक्ति को कितना सोना चाहिए, तो हम यहाँ आपको बताना चाहेंगे कि वॉशिंगटन, डीसी, (2 फरवरी, 2015) - राष्ट्रीय स्लीप फाउंडेशन (एनएसएफ़) द्वारा "उत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक नींद की अवधि" का पता करने के लिए चिकित्सा विज्ञानं के विभिन्न क्षेत्रों विशेषज्ञों के समूह का गठन किया गया, जिसके द्वारा शोध के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार प्रस्तुत किया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति की आयु के आधार पर उत्तम स्वास्थ्य के लिए सामान्यरूप से आवश्यक नींद की अवधि निम्न प्रकार से है-:
  • नवजात शिशु (0-3 महीने)-: नींद की अवधि प्रत्येक दिन 14-17 घंटों तक होती है ( जो पहले यह 12-18 घंटे मानी जाती थी)
  • शिशुओं (4-11 महीने)-: नींद की अवधि दो घंटे बढ़कर 12-15 घंटे हो गई (पहले यह 14-15 घंटे थी)
  • बच्चा (1-2 वर्ष)-: नींद की अवधि एक घंटा बढ़कर 11-14 घंटे हो गई (पहले यह 12-14 था)
  • प्रीस्कूलर (3-5)-: नींद की अवधि एक घंटा बढ़कर 10-13 घंटे  हो गई (पहले यह 11-13 थी)
  • स्कूल की आयु के बच्चों (6-13)-: नींद की सीमा एक घंटा बढ़कर 9-11 घंटे हो गई (पहले यह 10-11 थी)
  • किशोर (14-17)-: नींद की सीमा एक घंटा बढ़कर 8-10 घंटे हो गई (पहले यह 8.5-9.5 थी)
  • युवा वयस्क (18-25)-: नींद की सीमा 7-9 घंटे (नई आयु वर्ग) है
  • वयस्क (26-64)-: नींद की सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है और जो सामान्यतः 7-9 घंटे तक होती  है
  • वृद्ध वयस्क (65+)-: नींद की सीमा 7-8 घंटे (नई आयु वर्ग)

नींद में कमी या वृद्धि से होने वाली शारीरिक व मानसिक बीमारियाँ- : अधिकांश शोधो में यह पाया गया है कि जहां एक ओर अन्य बीमारियों की वजह से व्यक्ति की नींद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है वही दूसरी ओर नींद में अत्यधिक कमी या वृद्धि से कई शारीरिक व मानसिक रोग भी हो सकते है जिनमे से कुछ निम्न लिखित है-:

  • नींद की अत्यधिक कमी व्यक्ति के मस्तिष्क की विभिन्न कार्यप्रणालियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है इससे एकाग्रता, सीखने की क्षमता, स्मृति, चिंतन-मनन, तर्कशक्ति, समस्या समाधान की क्षमता आदि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो आगे चल कर विभिन्न मानसिक रोगो जैसे अवसाद, उन्माद, दुश्चिंता, मनोविदिलता, स्मृति ह्रास आदि को उत्त्पन्न करती है। इन सबके विपरीत कुछ और मानसिक समस्याएं भी होती है जो नींद में समस्या के कारण होती है जैसे नींद में अधिकता (स्लीपिंग ब्यूटी डिसऑर्डर), दुःस्वप्न, स्वप्न दोष, यौन इच्छा में कमी, आदि समस्याएं। 
  • नींद में अत्यधिक कमी या वृद्धि व्यक्ति में कई शारीरिक रोगों को भी जन्म देती है जिनमे से कुछ निम्न लिखित है;
  1. ह्रदय से सम्बंधित रोग जैसे; दिल का दौरा, ह्रदय का रुक जाना, अनियमित दिल की धड़कन, उच्च रक्त चाप, आघात आदि। 
  2. एक ओर जहा निद्रा की कमी से हृदय सम्बन्धी रोग होते है वही कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि ज्यादा देर तक सोने वाले लोगो में मधुमेह (डायबिटीज) होने की संभावना अधिक होती है। 
  • इन सबके अतिरिक्त विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक प्रमुख कारण नींद की कमी होना भी है। रात्रि में लम्बी दुरी की यात्रा में अधिक देर तक वाहन चलते वक्त व्यक्ति में नींद की कमी वजह से  ध्यान लगाने में दुविधा होती है और कई बार व्यक्ति को नींद आने लगती है और पालक झपकने मात्र से सड़क दुर्घटना हो जाती है। 

उपरोक्त के आधार पर यदि आप निर्धारित समय से अधिक या काम समय तक सोते है तो आपके लिए यह हितकारी नहीं है। आपको आगे चल कर इससे शारीरिक व मानसिक दोनों ही प्रकार के रोग हो सकते है अतः आपको निर्धारित मात्रा में ही सोना चाहिए। और स्वस्थ रहने के लिए हमेसा अनुशासित जीवन जीना चाहिए क्यों कि स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन के हर डगर पर सफल होते है। 

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