विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ (आईडीएफ) द्वारा 1991 में शुरू किया गया, 14 नवंबर को हर साल विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इस दिन को, कंपनियों, स्वास्थ्य संगठनों, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और राजनेताओं द्वारामधुमेह रोग के सम्बन्ध में लोगो में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। भारतीय लोक स्वास्थ्य संस्थान (आईआईपीएच) के मुताबिक, वर्तमान में भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या 70 मिलियन है और आने वाले 20 वर्षों में यह 120 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है। तो, विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर, हम आपके साथ मधुमेह से निपटने के तरीके के बारे में कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को साझा करना चाहते हैं। तो आईये हम आपको इस के बारे में बताते है;
मधुमेह क्या है?
मधुमेह एक सामान्य हार्मोनल समस्या है कि यदि उपचार न किया जाए तो मधुमेह से न्यूरोपैथी, किडनी की समस्याएं, हृदय की समस्याएं, रेटिनोपैथी और अन्य विकार जैसे मधुमेह की जटिलताएं हो सकती हैं। उन्नत चरणों में, मधुमेह के कारण गुर्दा की विफलता, विच्छेदन, अंधापन और स्ट्रोक हो सकता है। यह उच्च रक्त शर्करा के स्तर के बढ़ने के साथ एक चयापचय में असक्तता सम्बन्धी रोग है। इस रोग शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है या जो समस्या को कारण बनता है।
मधुमेह के प्रकार -:
- टाइप 1 मधुमेह (इंसुलिन पर निर्भर)-: इसके इलाज करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर एक बच्चो या युवाओ या वयस्को में विकसित होती है, और यह एक ऐसी बीमारी है जो अग्नाशयी कोशिकाओं को नष्ट कर देती है जिसका अर्थ है की इंसुलिन उत्पादन संभव हो जाता है।
- टाइप 2 मधुमेह (गैर इंसुलिन निर्भर डायबिटीज़)-: बहुत अधिक पाए जाने वाला रोग है और आम तौर पर 45 वर्ष की आयु से अधिक लोगों को प्रभावित करता है, जो अधिक वजन वाले होते हैं। टाइप 2 से पीड़ित लोगो के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं हो पाटा हैं, और शर्करा खून में बढ़ता है।
- गर्भकालिन मधुमेह-: कुछ महिलाओं में यह तब विकसित होता है जब वे गर्भवती होती हैं। ज्यादातर समय, इस प्रकार का मधुमेह बच्चा पैदा होने के बाद दूर हो जाता है। हालांकि, अगर किसी को गर्भावधि मधुमेह है, तो उसके जीवन में बाद में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने की अधिक संभावना होती है। कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान मधुमेह निदान(पहचान) वास्तव में टाइप 2 मधुमेह के रूप में भी होता है।
- इसके अतिरिक्त मधुमेह के कुछ अन्य प्रकार भी है जो दुर्लभ ही पाए जाते है जिसमे से एक है मोनोजेनेटिक मधुमेह और सिस्टिक फ़िब्रोसिसि सम्बन्धी मधुमेह।
मधुमेह का निदान कैसे करें?
मधुमेह रोग के निदान (पहचान) के लिए रक्त और मूत्र का परिक्षण कर उसमे ग्लूकोज के आकलन से किया जाता है। ग्लिसोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (एचबीए 1 सी) का इस्तेमाल मधुमेह के निदान के लिए भी किया जा सकता है।
लक्षण-:
टाइप 1 मधुमेह के लक्षण अक्सर अचानक से दिखाई देते हैं और इन लक्षणों में निम्न लक्षण शामिल होते हैं:
- खून और मूत्र में चीनी का उच्च स्तर,भूख कम लगना, प्यास अधिक लगना, लगातार पेशाब आना।
- वजन घटना, दुर्बलता, थकान।
- मिजाज़ में चिड़चिड़ापन।
- जी मिचलाना, उल्टी, चक्कर आना।
टाइप 2 मधुमेह के लक्षणों में प्यास अधिक लगना और पेशाब बार बार आना, थकावट, चिड़चिड़ापन और मिचली आना अादि । इसके अतिरिक्त त्वचा के संक्रमण, धुंधली दृष्टि, झुनझुनी या सूखी त्वचा भी अपेक्षाकृत सामान्य रूप से पाए जाने वाले लक्षण हैं। इसमें लक्षण बहुत धीमी गति से प्रकट होते है जिनको नजरअंदाज करना स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
मधुमेह रोग से भविष्य में अन्य शारीरिक व मानशिक रोग हो सकते है जिनमे से कुछ निम्न है;
मधुमेह रोग से भविष्य में अन्य शारीरिक व मानशिक रोग हो सकते है जिनमे से कुछ निम्न है;
- शारीरिक रोग जैसे-: दिल की बीमारी, आघात, गुर्दे की बीमारी, नेत्र समस्याएं, दंत रोग, नस की क्षति, पैर की समस्याएं इत्यादि।
- मानसिक रोग जैसे-: अवसाद, दुष्चिंता, मध् व्ह्यशन, मनोविदिलता आदि।
ध्यान दे-: उपरोक्त लक्षणों में से कुछ यदि आप में है तो तुरंत इसकी जांच तुरंत ही कराये और रोग की पुष्टि होने पर उचित इलाज कराये व परहेज करे साथ ही साथ प्रतिदिन थोड़ा व्यायाम भी करे। और यदि आपको ऐसा कुछ भी नहीं और आप चाहते है की आपको भविष्य में कभी भी मधुमेह न हो तो अपने दिनचर्या में बदलाव लाये और अनुशासित जीवन यापन करे। प्रतिदिन संतुलित भोजन करे और साथ ही साथ व्यायाम भी करते रहे और सबसे महत्वपूर्ण शरीर के वजन को सामान्य बनाये रखने का प्रयास करे। याद रखे सदैव स्वस्थ व सुरक्षित रहने के लिए आपको अनुशासित जीवन यापन करना चाहिए।
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