SOCIAL DOCTOR SHIV PRAKASH

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Tuesday, December 26, 2017

जानिये कैसा होता है I से शुरू होने वाले नाम के लोगो का स्वभाव

व्यक्ति अपने नाम से सदैव प्रभावित होता है, विभिन्न शास्त्रों में भी बताया गया है कि व्यक्तित्व या स्वभाव पर उसके नाम का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार से प्रभाव पड़ता है। आज हम आपको हिंदी के शब्द "इ, ई" अथवा अंग्रेजी के "I" से शुरू होने वाले नाम के लोगो के स्वभाव के बारे में बताएँगे। इसके पूर्व भी हमने आपको A,B,J,K,M,N,R,S से शुरू होने वाले नाम के लोगो के स्वभाव के बारे बताया है जिसे अधिकांश लोगो ने स्वीकारा भी। आशा करते है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आएगा। 

इ, ई अथवा I से शुरू होने वाले व्यक्तियों का स्वभाव 
इस अक्षर से शरू होने वाले नाम के लोग प्रायः प्रेम के भूखे होते है इन्हे प्रेम से ही जीता जा सकता है। ये भावुक और संवेदन शील होते है इस लिए इन्हे कोई भी बात तुरंत ही लग जाती है, कई बार अपनी इसी गुण के कारण इन्हे धोखा भी खाना पड़ता है। इन्हे कला और विज्ञान में अधिक रुची होती है, शिक्षा और लेखन कला में निपूर्ण होते  है। कुछ मामलो में ये मौका परस्त भी हो सकते है, अपनी कही बात पर से मुकर भी जाते है। इन्हे धन संपत्ति की कोई कमी नहीं होती है लेकिन ये प्रायः अपनी चीजों को अपने स्वभाव के कारण खो देते है। 

इन्हे अपने जीवन में प्रेम अधिक मिलता है लेकिन जीवन में उतना सुख नहीं मिल पाता है इन्हे वो संतुष्टि नहीं मिल पाती है जिसकी इन्हे कामना होती है। इन्हे क्रोध शीघ्र ही आजाता है, कुछ मामलो में थोड़ा संकोची और सोच विचार करने वाले भी होते है। दिखने में ये आकर्षक भी होते है लोग इनसे अधिक आकर्षित होते है जिससे ये समाज अपनी एक अलग पहचान भी रखते है। परिवार में सभी इनको प्रेम भी अधिक करते है। धर्म और कर्म में इनकी रुची भी अधिक होती है, लोगो की सहायता करना इन्हे पसंद होता है।  जीवन में ये सफल भी रहते है और इन्हे देश विदेश की यात्रा का भी अवशर मिलता है। 

आशा करते है कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी। आप हमसे जुड़े रहे हम आप तक ऐसी ही आवश्यक जानकारिया लाते रहेंगे। 


Saturday, December 23, 2017

जानिये म अथवा M से शुरू होने वाले नाम के लोगो का स्वभाव

कहते है कि व्यक्ति का नाम उसके स्वभाव और व्यक्तित्व को हमेसा प्रभावित करता है। इसके पूर्व अपने लेख में हमने आपको A,B,J,K,N,R,S अक्षरों से शुरू होने वाले व्यक्तियों के स्वभाव के बारे में बताया जिसको आप सभी ने पसंद किया और ज्यादा लोगो ने स्वीकारा की लगभग 90 % तक हमने सही बताया। आज हम आपको "म" अथवा M से शुरू होने वाले नाम के लोगो के स्वभाव के बारे में बताएँगे। आशा करते है आप इसे भी पसंद करेंगे। 

"म" अथवा M से शुरू होने वाले नाम के लोगो का स्वभाव 
ये स्वभाव से विनम्र, भावुक, धैर्यवन और साहसी होते है। इनमे संकोच करने का भाव भी विद्मान होता है अपने प्रत्येक कार्य को ये सोच समझ कर करते है। ये प्रतिभाशाली, बुद्धिमान, और रचनात्मक भी होते है इसी कारण लोग इनसे अधिक आकर्षित होते है। ये प्ररिस्थिति से कभी हार नहीं मानते है धैर्य के साथ संघर्ष करते रहते है और अंततः सफलता प्राप्त भी कर लेते है। चुकि ये स्वभाव से काफी भावुक होते है इस कारण बातें भी शीघ्र लगती है जिसको लेकर यह चिंतित हो जाते है और कभी कभी अधिक क्रोध भी करते है। 
ऐसे लोगो के लिए प्रेम अधिक महत्व रखता है और ये अपने प्यार को पाने के लिए हर संभव प्रयास करते है।    ये धोखा देना और धोखा खाना नहीं पसंद होता है। स्वभाव से थोड़े जिद्दी भी होते है , और एक बार कुछ करने का जो ठान लेते है कर के ही शांत होते है। भाग्य के धनि होते है जिससे इन्हे जीवन में सफलता, सुख, सम्मान और संपत्ति की प्राप्ति होती है। 

इनका राजनीती में अधिक रुची होती है और ये एक अच्छे लेखक और वक्ता भी होते है। भाषा पर इनका जो पकड़ होता है वह अतुलनीय होता है। कभी कभी ये स्वय को लेकर ये थोड़ा स्वार्थी भी हो जाते है। दुसरो की मदद करना पसंद करते है और मित्रो का साथ भी देते है। परिवार से इनको अधिक प्रेम होता है, रिस्तो को लेकर अधिक संवेदन शील होते है। प्रत्येक चीज में इन्हे पूर्णता पसंद होता है कुछ भी अधूरा इन्हे नहीं भाता है। 

आशा करते है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। यदि कही आपको कोई त्रुटि लगे तो हमे क्षमा करियेगा। आप हमसे जुड़े रहे हम आप तक ऐसी ही रोचक जानकारिया लाते रहेंगे। 


Wednesday, December 20, 2017

जानिए ज अथवा J से शुरू होने वाले लोगो का स्वभाव

व्यक्ति का नाम उसके व्यक्तित्व और स्वभाव को निरंतर प्रभावित करता है। व्यक्ति का नाम उसकी ज्यादा तर विशेषताओं को प्रदर्शित करता है। विभिन्न धर्म शाश्त्रो में यह बताया गया है नाम  व्यक्ति के स्वभाव, व्यत्कित्व और उसका भाग्य सब को प्रभावित करता है। आज हम आपको हिंदी के "ज" अक्षर अथवा अंग्रेजी के "J" से शुरू होने वाले नाम के लोगो के स्वभाव और व्यक्तित्व के बारे में बताएँगे। आशा करते है कि हमरा लेख आपको पसंद आएगा, फिर भी यदि आपको लगे की इसमें कुछ त्रुटि है तो  हमे क्षमा करियेगा।

हिंदी के "ज" अक्षर अथवा अंग्रेजी के "J" से शुरू होने वाले नाम के लोगो का स्वभाव और व्यक्तित्व
इस अक्षर से शुरू होने वाले नाम लोग स्वभाव से बहुत चंचल होते है, ये न केवल स्वभाव से प्यारे होते है बल्कि ये दिखने में भी काफी आकर्षक और सुन्दर भी होते है जिससे लोग इनसे काफी आकर्षित होते है। इनकी यही विशेषता के कारण इनसे कई लोग ईर्ष्या भी करते है। ये बहुत ही महत्वकांक्षी भी होते है, इनका पढ़ाई में थोड़ा मन थोड़ा कम  ही लगता है। ये भग्य के धनि होते है, जीवन में इन्हे सफलता मिलती है। ये परिवार में सभी से प्रेम करते है और सभी का आदर सम्मान करते है।
ये बुद्धिमान और चतुर भी होते है और अपने उद्देश्य को लेकर काफी केंद्रित होते है। ये जब किसी कार्य की जिम्मेदार लेते है तो उसे बहुत ही ईमानदारी से पूरा करने तक लगे रहते है। ये अपने साथी से अधिक प्रेम करते है और जिनका इनसे विवाह होता है वह भी अधिक भाग्यशाली होता है और ये प्रेम विवाह को अधिक महत्व देते है। ये लोग अधिक खुशमिज़ाज़ भी होते है लेकिन स्वास्थ्य समन्धि कुछ समस्याएं इन्हे रहती है। इन्हे जीवन में थोड़ी बहुत कठिनाईया झेलनी पड़ती है लेकिन ये उन पर शीघ्र ही विजय प्राप्त कर लेते है। यदि इनके नाम के हिसाब से इन्हे परिभाषित किया जाये तो ये बहुत ही प्यारे लोग होते है।

आशा करते है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा, आप हमसे ऐसे ही जुड़े रहे ताकि हम आप तक ऐसे आवश्यक जानकारिया लाते रहेंगे।


जानिए अपने Lucky Number के बारे में

गणितज्ञ मानते है कि संख्या संपूर्ण ब्रम्भाण्ड की भाषा है जिससे संसार की प्रत्येक चीज प्रभावित होती है। संसार की सभी वस्तुए को संख्याओं के माध्यम से समझना और भी आसान हो जाता है। आप भी जानते होंगे कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक विशेष अंक अथवा संख्या बहुत ही फलदायी होता है, जैसा कि हमारे धर्म शास्त्रों में संख्या के महत्व को बताया  गया है फिर चाहे व्यक्ति की जन्म तिथि हो, विवाह के सात फेरे हो, रंगो में सात रंग, शुभ में 11,21,51,101 हो, या फिर 786, अशुभ में अंक 13 सभी का व्यक्ति के जीवन में प्रभाव पड़ता है। आप भी इसके प्रभाव से कभी अछूते नहीं रहते है आपने भी अपने जीवन इसके प्रभाव को महसूस किया होगा ही, और आपको हम बता दे कि हर व्यक्ति के लिए विशेष लकी नंबर होता है जो उसकी सफलता को निश्चित करता है। आज हम आप को बताएँगे कि कैसे आप अपने लकी नंबर के बारे में जान सकते है। आशा करते है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आएगा। 

जीवन की मार्गदर्शक संख्या जिसे हम Life Path Number भी कहते है यह ऐसी संख्या होती है जो आपके जीवन में सफलता का मूल आधार होती है यही निर्धारित करती है है आप किस दिशा में में बढ़ेंगे और इससे आप अपनी योग्यताओ को भलीभाती समझ कर उनमें विकाश कर सकते है। हर व्यक्ति की जीवन मार्गदर्शक संख्या अलग अलग होती है जो उसके भाग्य अथवा दुर्भाग्य की द्योतक होती है। यदि आप अपने जीवन मार्ग दर्शक अंक के बारे में जानना चाहते है तो निम्न विधि का पालन करे। 

उदहारण-: मान लीजिये कि रिया का जन्म 17 दिसंबर 1986 है तो उसकी जीवन मार्गदर्शक संख्या की गणना करने के लिए हमे सर्वप्रथम उसकी जन्म तिथि को अंको में लिखना होगा (17/12/1986) फिर जन्मतिथि के प्रत्येक अंक को इस प्रकार जोड़ना होगा;
महीना : 12 =1+2=3
दिन : 17=1+7=8
वर्ष : 1986=1+9+8+6=24=2+4=6
दिन,महीने और वर्ष के अंको के जोड़ से प्राप्त अंको को जोड़ कर आप अपने जीवन मार्गदर्शक अंक को प्राप्त कर सकते है। 
जीवन मार्गदर्शक अंक : 3+8+6=17=1+7=8

अब आपने अपने अपने जीवन मार्गदर्शक अंक की गणना कर चुके होंगे तो अब आप यह जानना चाहेंगे कि इन जवान दर्शक अंको का व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है तो आप निम्न बिन्दुओ को ध्यान से पढ़े;
1 से 9 तक के जीवन मार्गदर्शक अंक वाले  व्यक्तियो की विशेषता है
1: नेतृत्व, व्यक्तित्व, आक्रामकता, आत्मविश्वास, मौलिकता, अधीरता
2: संतुलित, साझेदारी, ग्रहणशीलता, सहयोग, कूटनीति, धैर्य
3: स्व-अभिव्यक्ति, नवाचार, रचनात्मकता, संचार, गतिविधि
4: स्थिरता, निर्भरता, अनुशासन, समर्पण, अति सावधानी, जिद्दी।
5: प्रगतिशील, अग्रणी, नवाचार, साहसिक, विद्रोह, अवसरवादी
6: सद्भाव, करुणा, सेवा, पोषण, आत्म-धर्मी, पुरानी चिंता से ग्रसित रहने वाला 
7: खुफिया, अंतर्ज्ञान, आध्यात्मिकता, विश्लेषणात्मक, अकेला, गुप्त
8: महत्वाकांक्षा, संगठन, व्यावहारिकता, सफल, स्वार्थी, भौतिकवादी
9: उदारता, जुनून, परोपकारी, कुशल, अहंकारी, नाजुक

आप उपरोक्त विशेषताओं को समझ कर आप सवयं से सकारात्मक गुणों का विकाश कर सकते है, और नकारात्मकता से स्वयं को दूर रख सकते है, जिससे आप स्वयं को सफलता की दिशा में बढ़ाएंगे और जिससे आप को निश्चित ही सफलता मिलेगी और ऐसी स्थिति में आपका जीवन मार्गदर्शक अंक आपको आत्मबल प्रदान करेगा। 

आशा करते है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा आप हमसे जुड़े रहे हम आप तक ऐसी ही आवश्यक जानकारिया लाते रहेंगे। यदि आप इस विषय में अधिक जानकारी चाहते है तो हमे कमेंट बॉक्स में लिख के पूछ सकते है। 


Thursday, December 14, 2017

कैसे होते है "B" अक्षर से शुरू होने वाले नाम के लोग, जरूर पढ़े





व्यक्ति का नाम उसके व्यक्तित्व का आईना होता है। इस लेख के पूूर्व हमने आपको A,N,R,S से शुरू होने वाले नामो के के व्यक्तियों के स्वभाव के विषय में बताया जिसके विषय में हमारे लेख को पढ़ने वाले अधिकांश लोगो ने बताया की हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी 90% सही है। आज हम आपको इसी विषय में आगे हिंदी के "ब,भ" अक्षर अथवा अंग्रेजी के "B" अक्षर से शुरू होने वाले नाम के लोगो के स्वभाव के बारे में बताएँगे। 



इस अक्षर से प्रारम्भ होने वाले नाम के लोग स्वभाव से भावुक व संवेदनशील होते है, किसी भी बात पर तुरंत ही भावुक हो जाते है फलस्वरूप दुसरो से जल्द ही प्रभावित हो जाते है। ये छोटी छोटी बातो में भी खुसी ढूंढ लेते है, और प्रसन्न रहते है। ये थोड़ा संकोची प्रवित्ति के भी होते है अपने सभी कार्यो को काफी सोच विचार कर के ही करते है। ये नवीनता में विश्वाश रखते है ये अपने लिए नए नए मार्ग की तलाश में रहते है और सदैव नवीन कार्य करना इन्हे पसंद होता है। दुसरो घुलने मिलाने में थोड़ा इन्हे कठिन लगता है या उतना इन्हे पसंद नहीं होता है। जिसके कारण इनके मित्र कम ही होते है लेकिन जो इनके मित्र होते है इनके सच्चे मित्र होते है और ये अपने मित्रो का हमेसा साथ देते है। 

बात जब प्रेम प्रसंग की होती है तो ये थोड़ा रोमांटिक किश्म के होते है, ये प्रेम का इज़हार करने में तनिक भी समय नहीं गवाते है। हलाकि इससे कई बार प्रेम प्रसंग में इन्हे असफलता का भी सामना करना पड़ता है, फिर भी इस नाम वाले अधिकांश लोग प्रेम विवाह करते है। ये अपने साथी से अत्यधिक प्रेम भी करते है। इन्हे आंतरिक व वाह्य सुंदरता दोनों प्रिय होता है ये सौंदर्य प्रेमी होते है सुन्दर वस्तुए ही इन्हे भाती है। 

धन संपत्ति के भी ये स्वामी होते है, ये मेहनती होते है और अपने जीवन में अपनी मेहनत के बल पर धन सम्पत्ति अर्जित करते है। इनमे साहस भी अधिक होता है ये कठिन परिस्थितियों से घबराते नहीं है बल्कि उसका सामना करते है और अंततः उन पर विजय पाते है। ये अपनी गलतियों से हमेसा सीख लेते है ताकि भविष्य में ऐसी गलती न हो सके। ये स्वयं की संवेदनाओ को हमेसा अपने नियंत्रण में रखते है। 


ध्यान दे हो सकता है हमारे द्वारा बताई गयी कोई बात आपको असत्य प्रतीत हो सकती है परन्तु हम आपको बतादे कि ये सभी बाते सामन्यतः इस अक्षर से शुरू होने वाले नाम के लोगो में पायी जाती है फिर भी यदि आपको लगे कि हमसे बताने कोई त्रुटि हुयी है तो हमे क्षमा करे। आप हमसे जुड़े रहे ताकि हम आप तक ऐसी ही आवश्यक जानकारिया लाते रहे। 

Tuesday, December 12, 2017

कैसा होता है A शुरू होने वाले व्यक्तियों का स्वभाव जानने के लिए पढ़े



कहते है कि व्यक्ति का नाम व्यक्ति ही उसकी अधिकांश विशेषताओं को बता देता है, कुछ महापुरुषो और विद्वानों के अनुसार व्यक्ति का नाम व्यक्ति के व्यक्तित्व और स्वभाव को प्रभावित करता है। कुछ अध्यनो में भी पाया गया है कि अधिकांश लोगो का स्वभाव उनके नाम के अनुसार ही होता है और कुछ इसके विपरीत भी होते है। आज अपने लेख में हम आपको हिंदी के "अ, आ, औ" अक्षर अथवा अंग्रेजी भाषा के "A" अक्षर से प्रारम्भ होने वाले नाम के व्यक्तियों के स्वभाव और व्यक्तित्व के विषय में बतायेंगे। आशा करते है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आयेगा।

"अ, आ, औ" अक्षर अथवा अंग्रेजी भाषा के "A" अक्षर से प्रारम्भ होने वाले व्यक्तियों का स्वभाव और व्यक्तित्व
इस अक्षर से प्रारम्भ होने वाले व्यक्ति चाहे वो स्त्री हो या पुरुष सभी की खाश बात ये होती है कि ये सभी लोगो के आकर्षण का केंद्र विन्दु होते है। ये अपने रिस्तो को अधिक महत्व देते है लेकिन ये रोमांस के प्रति काम उत्साहित रहते है। ये विशेषतः व्यव्हार कुशल होते है और औपचारिक संबंधो को निभाना अधिक पसंद करते है। ये अपने कार्य क्षेत्र में लक्ष्य निर्धारित कर उसको प्राप्त करने का भर्षक प्रयास करते है और अपनी सफलता को निश्चित करते है। ये शांत,विनम्र, प्यारे स्वभाव के होते है, जिस कारण इन्हे सभी पसंद भी करते है लेकिन कभी कभी ये क्रोध भी अधिक करते है। इनमे धैर्य और साहस भी अधिक होता है। 

ये अपने साथी का हमेसा साथ देते है, एवं प्रेम भी अधिक करते है, ये अपने प्रेमी व साथी का चुनाव अत्यधिक सोच विचार कर के ही करते है । ये किसी के कार्य में कभी बाधा नहीं उत्पन्न करते है लेकिन इनमे स्वार्थ का भाव अधिक होता है। ये किसी को धोका कभी नहीं देते है न ही इनको धोखा  खाना पसंद होता है। इन्हे सामाजिक समारोह, पार्टी में जाना पसंद होता है लेकिन ये उसके आदि कभी नहीं होते है। ये सौंदर्य प्रेमी होते है, सुन्दर वस्तुए इनको बहुत भाति है और ये स्वय भी सुन्दर व आकर्षक दिखते है। सभी को साथ लेकर चलना और सबकी सहायता करना इनको अच्छा लगता है। 

आशा करते है  कि आपको हमारे द्वारा प्रदान की गयी जानकारी पसंद आयी होगी। आप हमसे ऐसे ही जुड़े रहे हम आप तक ऐसी ही रोचक मनोरंजक और आवश्यक जानकारिया लाते रहेंगे। 

Sunday, December 10, 2017

शरीर के अंगो पर तिल होने पर व्यक्ति के भाग्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, जरूर पढ़े

मनुष्य चाहे किसी भी धर्म का क्यों न हो, वो ग्रहदशा, नक्षत्र, भाग्य आदि में विश्वास करता ही है। सभी को अपने भविष्य लेकर चिंता रहती है और हमेसा अपने भाग्य को लेकर थोड़ा बहुत चिंतित अवश्य ही रहते है। आप भी अपने भविष्य के बारे में जानने को लेकर थोड़ा बहुत उत्सुक तो होंगे ही। आपको बता दे कि हर व्यक्ति के शरीर पर जन्म से ही अथवा जन्मोपरांत कुछ विशेष लक्षण अथवा ति ल होते है, इनका भी व्यक्ति के जीवन अथवा भाग्य में विशेष महत्व होता है, जिसके विषय में हिन्दू धर्म में बल्कि अन्य धर्मो में जिक्र मिलता है। हिन्दू धर्म में ज्योतिष शाश्त्र के भाग समुन्द्र शाश्त्र में शरीर पर तील के महत्व के विषय में बताया गया है। जिसके अनुसार व्यक्ति के शरीर पर मौजूद ति ल उसके भाग्य को प्रभावित करते है। इसी विषय में हम आपके लिए कुछ विशेष जानकारी लेकर आये है, आशा करते है आपको पसंद आएगा। 

भौ के बिलकुल मध्य में तिल-: जिस व्यक्ति के पास ऐसा तील होता है वह काफी भाग्यशाली होता है। वह न केवल ऐश्वर्या का धनि होते है बल्कि उनका दांपत्य जीवन भी काफी उत्तम होता है। 
स्त्री के वक्ष स्थल के मध्य तिल-: शास्त्रों में ऐसी स्त्री को बहुत ही सौभाग्यशाली बताया गया है। 
पीठ पर ति ल-: जिस व्यक्ति के पीठ पर तिल होता है वह प्रेम करने वाला, और धनि व्यक्ति होता है। 
नाभि पर तिल-: नाभि पर तिल होने को समुन्द्र शाश्त्र में अशुभ बताया गया है, ऐसे व्यक्ति उत्तम  स्वादिष्ट भोजन के प्रेमी होते है , यदि किसी को  आस-पास तिल होता होता है वो धनि होते है। 
पैर के अंगूठे पर तिल-: यदि किसी के पैर के अंगूठे पर तिल होता है वह समाज में सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। 
हाथ की तर्जनी अंगुली पर तिल-: जिसके हाथ की तर्जनी अंगुली पर तिल होता है वह धनवान होता है लेकिन  वह सदैव शत्रुओ से परेशान रहता है। 
ठोड़ी पर तिल होना-: यह इतना शुभ नहीं  होता है, इसकी वजह से व्यक्ति को धन संपत्ति की कमी रहती है। 
हाथ की अनामिका अंगुली पर तिल-: इससे ऐश्वर्या व यश की प्राप्ति होती है। 
हाथ की कनिष्ट अंगुली पर तिल-: इससे शक्ति की प्राप्ति होती है, लेकिन जीवन में तनाव व अशांति रहती है। 
नाक के दाई और तिल होना-:जिसके पास ऐसा तिल होता है वह कम प्रयास में ही सफलता प्राप्त कर लेता है और वह बहुत भाग्य का धनि भी रहता है।
स्त्री के गाल पर बायीं और तिल-: ऐसी स्त्री अति सौभाग्यशाली और सुलक्षणा होती है। 

ध्यान दे; इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का हमारा उद्देश्य आपको भाग्यवादी बनाना नहीं बल्कि हमारा उद्देश्य आपको कर्म करते हुए भाग्य पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करना है। आशा करते है कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी, आप ऐसे ही हमसे जुड़े रहे ताकि हम आप तक ऐसे ही रोचक जानकारिया लाते रहेंगे। 


Friday, December 8, 2017

बार-बार कुछ भूल जाते है, कुछ याद नहीं रहता है तो अपनाये ये घरेलु नुश्खे


प्रायः देखा गया है कि कुछ लोगो की ये शिकायत रहती है की उन्हें कुछ ठीक से याद नहीं रहता है, हमेसा कुछ न कुछ भूलते ही रहते है, जैसे कई बार कोई चीज हाथ में ही लिए रहते है और उसे घर में ढूंढने लगते है और भीड़ जब ध्यान आता है पता चलता है की वो वस्तु तो उनके हाथ में ही है। विधार्थियो की शिकायत रहती है कि घंटो पढ़ने के बाद भी उन्हें कुछ याद नहीं रहता है, ऐसी ही समस्याएं कई लोगो के साथ रहती है, आपको बता दे की भुलने की बीमारी जो होती है वो सामान्यतः वृद्धावस्था में होता है लेकिन यदि किसी को कम आयु में ही विष्मरण और याद न रख पाने जैसी समस्याये होती है तो वह कई कारण से होती है जिसमे से तनाव, अधिगम की गलत विधि, अभ्यास का आभाव, पुनर्स्मरण न करना आदि कुछ कारण होते है। यदि आप भी विष्मरण या भुलने, याद न कर पाने जैसी समस्या से परेशान है तो आपको हम बताना चाहेंगे की कुछ घरेलु नुश्खे है जिनको अपना कर आप इन समस्याओ से मुक्ति पा सकते है। ऐसी कुछ नुश्खे निम्नलिखित है;
  • काली मिर्च और बादाम की सात- सात लेकर पानी में भिगों दे और कुछ समय बाद उसे थोड़ा पानी में पीस ले | इसे  रोजाना पियें | इसे पीने से दिमागी ताकत बढ़ती है |
  • शक्कर और रूमी मस्तगी बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें और सुबह – शाम दो-दो माशे इस्तेमाल करें | इससे याददाश्त बहुत बढ़ती है |
  • बासी मुह सुबह उठकर शाम का रखा हुआ पानी पियें | यह दिमाग की तरावट के लिए बहुत ही अच्छा इलाज है और लगातार पीने से याददाश्त बढ़ती है |
  • प्रतिदिन प्रातः कल उठ कर योग के कुछ आसनो जैसे प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी आदि करे। 
  • प्रतिदिन थोड़ा व्यायाम करे इससे शरीर में स्फूर्ति बानी रहती है जिससे ध्यान लगाने में मदद मिलती है। 

आशा करते है कि हमारा ये प्रयास आपको पसंद आएगा और लाभदायक भी सिद्ध होगा, यदि आपको आगे भी ऐसी आवश्यक जानकारियों से अवगत होते रहना है तो हमें फॉलो करे तकि हम आप तक महत्वपूर्ण जानकारिया लाते रहे। 

Thursday, December 7, 2017

रात में नींद नहीं आती है और नींद नहीं आने से रहते है परेशान-तो जरुर पढ़े.


सामन्यतः आज कल लोगो में देखा गया है कि वो नींद न आने जैसी समस्या से ग्रसित है वो सोना तो चाहते है उन्हें नीदं नहीं आती है उसी के विपरीत कई बार कुछ लोगो में देखा गया है कि वो सामान्य से ज्यादा नींद आने की समस्या से पीड़ित है, पर है आपको बता दे कि प्रत्येक व्यक्ति को उनकी आयु विशेष के आधार पर एक निश्चित मात्रा में सोने की जरुरत होती है, सामन्यतः 18-65 वर्ष तक की आयु के लोगो को 7-9 घंटे तक प्रतिदिन सोना चाहिए लेकिन आज के भागम भाग के दौर ने लोगो को सामान्य से अधिक तनाव अथवा गैर अनुशासित जीवन जीने के कारण सोने के सामान्य अवधि में कमी अथवा वृद्धि होने लगती है जो आगे चल के शारीरिक या मानसिक रोगो का कारण बनता है। आज कल कुछ लोगो को रात रात भर नींद नहीं लगने की समस्या होती है या फिर कुछ लोगो आधी रात में नीद खुल जाने और फिर नीदं न लगने की समस्या होती है, यदि आप के साथ भी ऐसा ही कुछ होता है तो हम आपकी इस समस्या को दूर करने का उपाय ले कर आये है, हो सके तो जरूर आजमाए। 

1. बिस्तर पर तभी सोने जाये, जब आपको सही में नींद आ रही हो। बार बार करवटें बदलते रहने से तो अच्छा है कि आप कोई दिलचस्प काम करें (जैसे- किताब पढ़ें या म्यूजिक सुनें) और नींद लगने पर बिस्तर पर लेटे।  
2. रात्रि में बार बार घड़ी देखने से बचें। कुछ दिनो तक घडी की ओर मुंह करके न सोये। घडी भी कई बार नींद में व्यवधान उत्पन्न करती है अतः यहाँ ध्यान दे कि नींद का चक्र पूरा होना बहुत जरूरी है। शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक के हिसाब से ही चलें, तभी आप अनावश्यक तनाव या दबाव से बच सकेंगे। 
3. रात में कैफीन और एल्कोहॉल से सम्बंधित पेय पदार्थ के सेवन से बचें। इससे भी नींद देर से आती है। 4. स्वयं में सदैव उत्साह बनाये रखे और प्रत्येक दिन कम से कम एक घंटा व्यायाम करे और रात्रि भोजन के बाद भी 15-20 मिनट तक टहले। यूएस के नेशनल स्लीप फाउंडेशन द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जो लोग नियमित टहलते और व्यायाम करते हैं, उन्हें अच्छी नींद आती है। 
5. रात में अत्यधिक भोजन न करे । यदि रात्रि भोजन 9 बजे के बाद करते हैं तो आपको प्रोटीनयुक्त, भारी या मसालेदार भोजन से बचना ही ठीक होगा। 
6. अपने आस पास का वातवरण शांत, सुगंधित और हवादार रखें। यदि कमरे में शोर आता हो, पर्याप्त हवा न आती हो या कोई गंध आती हो तो इससे आपकी नींद में बाधा उत्त्पन्न होगी। शयन कक्ष का रंग भी बहुत गहरे रंग का रखें। 
7. यदि दो लोग एक बिस्तर पर सोते है तो दोनो लोग एक ही कंबल ओढऩे से बचें। इससे भी नींद खराब हो सकती है। 
8. सोने-जागने का नियत समय बनाएं। हालांकि यात्राओं के दौरान ऐसा संभव नहीं हो पाता, फिर भी अपना रूटीन निश्चित रखें। 
9. नींद न आने का हक कारण मैट्रेस भी हो सकता है। हर मैट्रेस की एक उम्र होती है, जब वह असुविधाजनक हो जाए, उसे बदल लें। 
10. मन को शांत रखें। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि सोने से पहले स्ट्रेस वाला कोई काम न करें, ऐसा कुछ न बोलें, जो तनाव में डाले। 

आशा करते है कि आपको हमारा लेख पसंद आया होगा और आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सके। अतः आप से निवेदन है कि आप हमसे जुड़े ताकि हम आप तक ऐसी ही आवश्यक वस्तुए लाते रहे। 

सिर में हो रहा है यदि लगातार दर्द-तो ध्यान दे ये ब्रेन स्ट्रोक रोग भी हो सकता है

व्यक्ति के शरीर के रक्त प्रवाह में किसी भी तरह की यदि कोई बाधा उत्तपन्न हो जाती है तो वह उसके शरीर को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। इससे व्यक्ति की जान भी जाने की हो सकती है। विशेषतः ऐसी  स्थिति में जब मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाये। इसे चिकित्सा विज्ञानं की भाषा में ब्रेन स्ट्रोक भी कहते हैं। ब्रेन स्ट्रोक किसी बाधा के कारण इश्चेमिया (रक्त संचार में कमी) या फिर हेमरेज (रक्तस्त्राव) के कारण होता है।
सामान्यतः लोग इसके विषय में ज्यादा नहीं जानते  है, जैसे इससे व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता हैं, इसके होने पर तुरन्त क्या करना चाहिए, क्या इसका इलाज संभव है आदि। वैसे एक सामान्य मनुष्य के सामने सबसे आवश्यक प्रश्न तो यही होता है कि ब्रेन स्ट्रोक के सामान्य लक्षण क्या हैं? आपको  बता दे कि तनाव, मधुमेह, धूम्रपान, मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और हृदय रोग आदि ब्रेन स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारण हो सकते हैं। अगर आप भी इस तरह की गंभीर खतरों से पीडि़त हैं तो आपको अधिक सावधान रहने की जरुरत होती है। 

ब्रेन स्ट्रोक के प्रमुख लक्षण

  1. स्ट्रोक से ग्रस्त रोगी को यदि एक या दोनों बांहों में सुन्न होने या कमजोरी जैसा महसूस हो तो उसे तुरंत ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ध्यान दे सुन्न होने की इस स्थिति में रोगी अपना हाथ उपर नहीं उठा पाता है
  2. यदि रोगी का चेहरा एक तरफ से लटक जाए अथवा फिर उसका चेहरा सुन्न हो जाए तो इसका अर्थ है कि बहुत गंभीर है। ऐसी स्थिति में आप रोगी हंसने के लिए कहें, यदि वह ऐसा करने में असमर्थ है तो उसे तुरन्त ही अस्पताल लेकर जाएं।
  3. इस दौरान यदि रोगी को बोलने में समस्या महसूस होती है, और साधारण से सवाल का वह जवाब देने में वह असमर्थ हो तो उसे डॉक्टर के पास के जाये
  4. यदि रोगी अपने शरीर को सन्तुलित करने में सक्षम न हो, और सीधे खड़ा नहीं हो पाता है या फिर उसे चलने में परेशानी आदि हो तो यह ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण हैं।
  5. अकारण ही व्यक्ति के सिर में भयंकर दर्द हो तो यह सामान्यत: मस्तिष्क में आंतरिक रक्तस्त्राव होने के कारण यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। और यदि रोगी में सामान्य अवस्था में थोड़े थोड़े समय  पर याद्दाश्‍त भी चली जाती है तो समझे की उसे यह रोग होने वाला है।
  6. कई बार आंखों के सामने अंधेरा छा जाना और चक्कर आना भी ब्रेन स्ट्रोक की वजह हो सकती है।
ध्यान दे आपको इस रोग के कोई भी लक्षण यदि किसी व्यक्ति में दिखाई दे तो उसे अनदेखा न करे बल्कि सावधानी बरते और उसे उचित समय पर चिकित्सक के पास लेकर जाए क्योकि कई बार ऐसी लापरवाही करने पर रोगी की तत्काल ही मृत्यु हो जाती है। अतः आप इसे लेकर सदैव सतर्क रहे, आशा करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी आपके लिए लाभप्रद सिद्ध होगी। अतः आपसे निवेदन है कि हमसे जुड़े और अन्य लोगो को भी सलाह दे हम आपके लिए ऐसी ही आवश्यक जानकारिया रहेंगे। 


Sunday, December 3, 2017

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खुशखबरी दोबारा शुरु हुआ रिलायंस जियो फोन के लिए रजिस्ट्रेशन, जल्दी करे ऑफर सिमित

 

पंजीकरण कैसे करे?
उपभोक्ता सबसे पहले रिलायंस जियो  की  वेबसाइट  पर जाएं,  जहा पर  जियोफोन के बैनर पर Know More का विकल्प मिलेगा। इस  पर क्लिक करते ही  ऩए वेब पेज पर पहुंचगे और यहां रजिस्टर नाउ का ऑप्शन मिलेगा। इस पर क्लिक करें। इसके बाद आप अपना नाम, ईमेल, फोन नंबर व क्षेत्र पिन कोड  अदि भरना होगा। ऐसा करके सब्मिट करें।
इस प्रकार जब पंजीकरण पूरा होगा तब आपको "धन्यवाद " का सन्देश आएगा । इसके साथ ही आपको इसके सम्बन्ध में आपके फ़ोन पर सन्देश भी जायेगा की आपका पंजीकरण सफल हो गया। 



Thursday, November 30, 2017

पढ़ाई में मन नहीं लगता है? और ध्यान लगाने में असमर्थ महसूस करते है? तो अवश्य पढ़े


ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम किसी भी कार्य को सुचारु रूप से करते है और अपने प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त कर सकते है। किसी भी कार्य को भली-भाति करने लिए हमें सर्वप्रथम अपने मन को एकाग्रचित करना होगा ताकि हमसे कोई भी त्रुटि न हो सके, तभी उस कार्य में हम सफलता प्राप्त कर सकते है। जब भी हमारा यह ध्यान अपने निर्धारित कार्य से भटक जाता है तभी हमसे प्रायः गलतिया होती है और फिर इन्ही गलतियों के कारण हम असफल हो जाते है।

महाभारत काल में भी गुरु द्रौणाचर्या ने अर्जुन के ध्यान लगाने की क्षमता को ही देख कर कहा था कि वह एक दिन विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी होगा और ऐसा ही हुआ भी। व्यक्ति अपने समस्त कार्यो एवं उद्देश्यों में तभी सफलता प्राप्त कर सकता है जब उसमे ध्यान लगाने की क्षमता विधमान हो। आप भी अपने जीवन में ये महसूस करते होंगे कि "ध्यान का क्या महत्व है?" और यहाँ तक की कई बार आप ने स्वयं को ध्यान लगाने या एकाग्रचित रखने में असमर्थ पाया होगा लेकिन यदि यह आपके साथ प्रायः होता है तब आपसे सदैव भूल या त्रुटि होती होगी ऐसी स्थिति में आप को कई बार अनेक समस्याओ का सामना भी करना पड़ा होगा। यदि आप ध्यान लगाने निपूर्णता पाना चाहते है तो ये लेख आपके लिए काफी महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

ध्यान क्या है?
ध्यान, सूचनाओं के विभिन्न पहलुओं में से चुनिंदा किसी एक बिंदु पर स्वयं केंद्रित करने की व्यवहारिक और संज्ञानात्मक प्रक्रिया है, फिर चाहे यह व्यक्तिपरक या उद्देश्यपरक रूप से किन्ही जानकारियों में किसी एक जानकारी पाने के लिए किया जाये। ध्यान या एकाग्रता मस्तिष्क की एक ऐसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें एक समय में एक साथ कई वस्तुएं या विचारों पर स्वय को केंद्रित किया जाता है। सरल शब्दों में यदि इसे समझना है तो कह सकते है कि ध्यान वह प्रक्रिया है जिसमे व्यक्ति द्वारा एक समय में विभिन्न सूचनाओं में से किसी निश्चित सूचना या जानकारी पर स्वयं को केंद्रित किया जाता है जो की एक उद्देश्यपरक प्रक्रिया होती है जो कि व्यक्ति द्वारा निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति में उसकी सहायता करती है।

ध्यान लगाने या एकाग्रचित्त होने की क्षमता का विकास कैसे करे?
यदि आप ध्यान न लगा पाने की समस्या परेशान है, ज्यादा देर तक ध्यान नहीं लगा पाते है। घंटो पढ़ने के बाद भी आपको को कुछ याद नहीं रहता है, पढ़ाई या कार्यो में मन नहीं लगता है इसका अर्थ है कि आपमें ध्यान लगाने की क्षमता बहुत कम है और आपको ऐसी स्थिति में स्वयं में ध्यान लगाने की क्षमता का विकाश करने की जरुरत है। ध्यान लगाने या एकाग्रचित रहने की क्षमता का विकाश करने के लिए आप निम्नलिखित विधियों का पालन कर सकते है-:

  1. जाने ध्यान क्या है-: आपको स्वयं में यदि ध्यान की क्षमता का विकाश करना है तो सर्वप्रथम आपको इस बात को जानने का प्रयास करना चाहिए कि आखिर ध्यान क्या है, यह कैसे क्रियान्वित होता है, इसमें कौन कौन सी वस्तुए बाधा उत्त्पन्न करती है। इसके पश्चात ही आप स्वयं में ध्यान का विकाश कर सकते है। 
  2. ध्यान में बाधा उत्त्पन्न करने वाले कारको को दूर करना-: ध्यान लगाने में आने वाली बाधाओं जैसे अरुचि, प्रेरणा का आभाव, शारीरिक या मानसिक समस्याएं आदि की पहचान कर इसका निवारण विशेषज्ञों द्वारा कराना। 
  3. योग-: ध्यान में विस्तार के लिए आप योगा के विभिन्न आसनों जैसे प्राणायाम, अनुलोम-विलोम,और भ्रामरी आदि को प्रतिदिन करे। इससे आपमें ध्यान लगाने की क्षमता प्रतिदिन अभ्यास के साथ साथ निरंतर बढती है। कई अनुसंधानों में यह पाया गया है कि इनके अभ्यास से व्यक्ति में एकाग्रचित्त रहने, अच्छी स्मृति और तनाव मुक्त रहने में काफी लाभ मिलता है। 
  4. व्यायाम-: प्रतिदिन 30 मिनट तक व्यायाम करे, इससे आपका शरीर स्वस्थ रहता है और साथ ही इससे शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है और थकान भी कम लगती है। जिससे आप ज्यादा देर तक कोई कार्य कर सकते है।  प्रायः ध्यान भंग होने के लिए जिम्मेदार करने में शारीरिक और मानसिक थकान ही प्रमुख कारण होता है।  
  5. योजना बद्धता-: कोई भी कार्य हो चाहे पढ़ाई, खेल, या अन्य कोई आवश्यक कार्य हो, सभी को आप योजना बद्ध ढंग से करे। इससे आप अपने लक्ष्य तक क्रमसः बढ़ते जाते है और एक समय में आपका ध्यान एक ही विषय वास्तु पर लगा रहता है, जिससे आपको ध्यान लगाने में आसानी भी होती है। एक समय में जब आपको कई वस्तुओ पर ध्यान लगाना होता है तब आपसे गलतिया होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है अतः योजना बद्ध ढंग से जब कोई कार्य करते है तब आप कुछ निश्चित वस्तुओ पर ही ध्यान लगाते है और तब आपका समस्त ध्यान उन्ही पर रहता है।
  6. रुची के अनुसार विषय का चयन-: विशेषतः विद्यार्थियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी रुचियों के आधार पर ही अपने अध्ययन का विषय चुने ताकि उन्हें उस विषय में ध्यान लगाने के साथ साथ उसका आनंद भी मिल सके। रुची के आधार पर विषय चुनने से यह लाभ भी मिलता है कि इससे व्यक्ति की जिज्ञासा शांत भी होती है और पुनः दूसरी जिज्ञासा उसे विषय के बारे में और अधिक जानने के लिए प्रेरित भी करती है फलस्वरूप ध्यान का निरंतर विस्तार होता रहता है। 
  7. शोर या अन्य ध्यान भटकाने वाली वस्तुओ को हटाना-: प्रायः ध्यान तभी अवरुद्ध होता है जब कोई विशेष ध्वनि होती है जो व्यक्ति का ध्यान भंग करती है। इसके अलावा पढ़ाई या कोई आवश्यक कार्य करते वक्त यदि फ़ोन पास होता है तब अक्सर ध्यान भंग होता है अतः सर्वप्रथम ध्यान भंग करने वाली ऐसी ही सभी वस्तुओ को अपने से दूर ही रखना चाहिए। 
  8. पूर्वावलोकन और योजना कौशल विकसित करना-: पढ़ाई या अन्य कोई महत्वपृर्णा के पूर्व ही उसके विषय में थोड़ा जानना चाहिए और योजना बनाना चहिये, उदाहरण के लिए विद्यार्थियों को चाहिए कि अगले दिन कक्षा में क्या पढ़ना है उसके बारे में आज ही थोड़ा स्वयं पढ़ना चाहिए और जहा कोई भी तथ्य न समझ आये उसे नोट कर लेना चाहिए जिन्हे वे अगले दिन शिक्षक से कक्षा में पूछ सकते है, इसके साथ उन्हें इससे कक्षा में ध्यान लगाने में भी मदद मिलती है। 
  9. स्वयं की ज्ञानेन्द्रियो को केंद्रित रखने का अभ्यास करना-: वस्तुतः ध्यान लगाने से आशय ही है सभी ज्ञानेन्द्रियो को एक निश्चित बिंदु पर केंद्रित करना। इस लिए यदि आप ध्यान लगाने की क्षमता का विकाश करना चाहते है तब आपको अपनी पाँचो ज्ञानेन्द्रियो पर नियंत्रण रखना सीखना होगा और उन्हें एक निश्चित बिंदु पर केंद्रित रखने का प्रयास करना होगा। अतः आपको प्रतिदिन अपनी ज्ञानेन्द्रियो केंद्रित रखने का अभ्यास करना चाहिए। 
  10. सक्रिय श्रवण विधि (एक्टिव लिसनिंग)-: आपको अपने ध्यान को केंद्रित रखने के अभ्यास के अंतर्गत ही सक्रिय श्रवण विधि या एक्टिव लिसनिंग विधि का भी अभ्यास करना आवश्यक है। इसके अंतर्गत आप सदैव अपने आप को कक्षा में सक्रिय रहना, चाहिए स्वयं में हमेसा जिज्ञासा को बनाये रखना चाहिए और जहा तक हो सके ज्यादा से ज्यादा सूचनाओं को ग्रहण व उन्हें समझने का प्रयास करना चाहिए और साथ ही साथ कक्षा में प्रश्नोत्तर के समय अपनी सहभागिता बनाये रखना चाहिए अर्थात शिक्षक द्वारा प्रश्न करने पर जवाब देना और कुछ यदि न समझ आये तो कक्षा के उपरांत शिक्षक से जानने का प्रयास करना चाहिए। 
इस प्रकार आपने देखा कि ध्यान का व्यक्ति के जीवन में कितना महत्व है और किस प्रकार आप स्वयं के ध्यान लगाने की क्षमता का विकाश कर सकते है। आशा करते है कि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आई होगी अतः आपसे अनुरोध है कि आप हमसे जुड़े और दुसरो को भी सलाह दे। हम आपके लिए ऐसे ही रोचक और लाभप्रद जानकारिया लाते रहेंगे। 


Wednesday, November 29, 2017

परीक्षा भय या एक्जामोफ़ोबिया-क्या आप जानते है इसके बारे में?

परीक्षा भय या एक्जामोफ़ोबिया यह एक मानसिक विकार है जो कि अधिकांशतः छात्रों में पाया जाता है। परन्तु अधिकांश अभिभावक और शिक्षक अज्ञानता के कारण इस समस्या की गंभीरता को पहचान नहीं पाते हैं। और वे केवल यही समझते हैं कि बच्चा असमर्थ अथवा ठीक से पढ़ाई नहीं करता है। अधिकांश माता-पिता परीक्षा में असफ होने पर बच्चो पर क्रोध करते है परन्तु वे यह नहीं जानने का प्रयास करते है की आखिर कही या कोई अन्य समस्या तो नहीं है जिसके कारण बच्चा अपनी परीक्षा में अच्छे प्राप्तांक नहीं प्राप्त कर पा रहा है। 

यद्यपि यह विकार किसी भी उम्र से शुरू हो सकता है, सामान्यतः यह बालयावस्था या किशोरावस्था के शुरुवात में होता है। इस मनोविकार में बच्चे में एक विशिष्ट स्थिति को लेकर डर रहता  है, यह स्थिति एक परीक्षा या एक साक्षात्कार हो सकता है। जहां एक छात्र की क्षमता का परीक्षण किया जाता है जब एक छात्र को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो उसमे अत्यधिक घबराहट व तनाव उत्त्पन्न हो जाता है और उसे यह भय होता है कि वह अपनी  परीक्षा के लिए अभी तैयार नहीं है या फिर उसमे उस स्थिति का सामना करने की क्षमता  नहीं है। इसके परिणामस्वरूप उनका परीक्षा में प्रदर्शन ख़राब हो जाता है और उन्हें परीक्षा में काम प्राप्तांक प्राप्त होते है। प्रत्येक ख़राब प्रदर्शन के पश्चात उनकी मनःस्थिति दिन प्रतिदिन ख़राब होती जाती है। 

कई अनुसंधानो द्वारा पहले ही साबित किया जा चका है कि किसी भी व्यक्ति को इष्टतम स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए न्यूनतम स्तर की तनाव, चिंता या भय आवश्यक है। इस न्यूनतम स्तर की चिंता के कारण, मस्तिष्क असाधारण रूप से काम करता है; जिसके फलस्वरूप एक छात्र तुरंत ही सवालों के जवाब याद कर सकता है वही दूसरी ओर, अत्यधिक डर और चिंता का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है और यह छात्रों की यादास्त को अवरुद्ध या प्रभावित करता हैं भले ही उन्होंने अच्छी तरह से ही क्यों न तैयारी की हों। परीक्षा भय मनोरोग भी इसी सिद्धांत का पालन करता है और चिंता में वृद्धि के साथ साथ प्रदर्शन की गुडवत्ता भी घटती जाती है  नतीजतन, छात्र कोई वांछित परिणाम नहीं प्राप्त कर पाता है। जब यह भय या डर, उच्चतम बिंदु पर होता है, तो विद्यार्थी इतना डरा हुआ होता है कि वह परीक्षा देने से बचने के तरीकों की तलाश शुरू कर देता है और कई बार तो परीक्षा देने ही नहीं जाता है या फिर परीक्षा बीच में छोड़ कर परीक्षा हॉल से बाहर निकल जाता है।

एक्ज़ामोंफोबिया के कारण कई गंभीर समस्याएं जैसे तनाव, ध्यान में अस्थिरता, विस्मरण, निर्णय न ले पाना, घबड़ाहट, बेचैनी, आदि समस्याएं भी हो सकती है इसके साथ साथ शारीरिक समस्याए जैसे सर दर्द, उलटी,दस्त, बार-बार पेशाब आना, अादि भी हो सकती है। इससे आगे चलकर अवसाद या अन्य मानसिक रोग भी हो सकते है। 

एक्ज़ामोंफोबिया के कारण
यदि आप इस समस्या के बारे में जानेगे तो पाएंगे कि यह भय का बच्चे में बाल्यावस्था से विकसित होने लगता  है। परीक्षा भय बच्चो में होने के लिए कई करण जिम्मेदार होते है जिनके बारे में सभी लोगो को जानना चाहिए। इसके होने के निम्नलिखित कारण जिम्मेदार होते है ;

1. प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता दूसरे से भिन्न होती है। वह कुछ कार्यो या विषयो में बहुत अच्छा हो सकता है और कुछ में उतना अच्छा नहीं भी हो सकता है। बच्चा किसी-किसी विषय में बहुत ही अच्छा होता है  इसको ही हम प्रतिभा कहते हैं। कई माता-पिता अपने बच्चे से सामान्य से अधिक अपेक्षा करते हैं, और वे बच्चो पर अपने सपनों और अपनी इच्छाओ को लागू करते हैं। और जब बच्चा उनकी उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाता है, तो वह वह स्वय को शर्मिंदा महसूस करता हैं। कई बार माता-पिता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसे ताना भी मारते है परिणामस्वरूप, बच्चा इस निष्कर्ष पहुंचता है कि यदि वह अपने माता-पिता की अपेक्षाओं के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाया तो उसे हमेशा ताने सहना होगा और शर्मिंदा होना होगा। और यही उसमे एक भय के रूप में बदल जाता है जो उसके प्रदर्शन को प्रभावित भी करता है। 

2. कई ऐसे माता-पिता भी होते हैं जो अपने बच्चों के संबंध में ज्यादा सुरक्षात्मक होते हैं। वे अपने बच्चों को किसी भी प्रकार से तनाव नहीं लेने देते है और हर समय उसकी सहायता करते रहते है। माता-पिता का अपने बच्चो ले लेकर अत्यधिक सुरक्षात्मक दृश्टिकोण उनके बच्चों में आत्मनिर्भरता, तनाव से लड़ने की क्षमता आदि गुणों के विकास में बाधा उत्तपन्न करता है। और यही आगे चलकर बच्चो में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्तपन्न करता है जिसमे से एक्ज़ामोंफोबिया एक गंभीर समस्या है। 

3. घर का वातावरण भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिन बच्चो के माता-पिता हमेशा झगड़ा करते रहते हैं, उनके बच्चे आमतौर पर स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर पाते है। उनमें असुरक्षा की भावना प्रभावी होने लगती है और कुछ समय पश्चात्  यही असुरक्षा की भावना बच्चो के मन परीक्षा के समय तनाव उत्त्पंन्न करती है।

4. कुछ शिक्षकों का व्यवहार भी इस डर के लिए जिम्मेदार होता है। व्यावहारिक या सैद्धांतिक परीक्षाओं के दौरान, ऐसा देखा गया है की कुछ शिक्षकों में छात्रों की मनःस्थिति को समझ नहीं पाते हैं। कुछ शिक्षकों में बस इस बात को जानने में अधिक रुचि होती  हैं कि छात्र क्या नहीं जानते और उनके किन प्रश्नो का जवाब नहीं देते  है। और जब बच्चे शिक्षकों द्वारा इस दौरान पूछे गए प्रश्नो का जवाब नहीं दे पाते है तब वे काफी हतोत्साहित होते है और कई अन्य समस्याओ से ग्रस्त हो जाते है जैसे; छात्र द्वारा अपना आत्मविश्वास खो देना, तनाव ग्रस्त होना, अपनी योग्यताओं को लेकर चिंतित रहना आदि। यही सब जब बढ़ने लगता है तब या एक्ज़ामोंफोबिया या परीक्षा के भय के रूप में बदल जाता है। 

एक्ज़ामोंफोबिया या परीक्षा के भय के निवारण के उपाय-: इस समस्या के समाधान के लिए निम्न बातो का ध्यान देना अति आवश्यक है
  1. माता-पिता को अपने बच्चो की योग्यताओ व क्षमताओं के विषय में अधिक से अधिक जानने का प्रयास करना चाहिए और इसी के आधार पर उन्हें विषयक्षेत्र के चयन में मदद करनी चाहिए न कि उन पर अपनी अपेक्षाओं का दबाव डालना चाहिए। 
  2. समय समय पर बच्चो से बातचित करना चाहिए और यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि उन्हें कहा समस्या हो रही है लेकिन यहाँ यह भी ध्यान देना चाहिए कि उस समस्या का समाधान बच्चे द्वारा ही करना चाहिए ताकि वह आत्मा निर्भर बने और तनाव पूर्ण परिस्थितियों का सामना कर सके। 
  3. माता-पिता को बच्चो को लेकर अति सुरक्षात्मक दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए बल्कि बच्चो को तनाव से लड़ने, परिस्थितियों का सामना करने आदि के लिए निरंतर मार्गदर्शित व उत्साहित करना चाहिए। 
  4. माता-पिता को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि अपने बच्चो की प्रत्येक इच्छाओ या मांगो की पूर्ति नहीं करनी चाहिए। बल्कि बच्चो में इस समझ का विकास करना चाहिए की क्या उचित है की अनुचित अथवा क्या आवश्यक है क्या अनावश्यक। इससे बच्चे में परिस्थिति विशेष में निर्णय लेने मदद मिलती है और उनमे निर्णय लेने की क्षमता का भी विकाश होता है। 
  5. शिक्षकों को भी चाहिए कि वे विद्यार्थियों की मनोदशा को समझे, व बाल मनोविज्ञान के सिद्धांतो और विधियों के द्वारा विद्यार्थियों की समस्याओ का निदान व समाधान करे। शिक्षकों को विद्यार्थियों की कभी हतोत्शहित या प्रताड़ित नहीं करना चाहिए साथ ही साथ उन पर अत्यधिक अध्ययन को लेकर दबाव नहीं डालना चाहिए। जहा तक हो सके उन्हें विद्यार्थियों का अधिक से अधिक उचित दिशा में मार्गदर्शन करते रहना चाहिए। 
इस प्रकार से अपने देखा कि एक्ज़ामोंफोबिया या परीक्षा का भय, यह एक कितना गंभीर समस्या है जिसके विषय में हम सब को अधिक से अधिक जानने का प्रयास करना चाहिए। और ऐसी कोई समस्या आपके बच्चो को न हो इस लिए सदैव सजग भी रहना चाहिए। फिर भी यदि कोई इससे ग्रसित हो भी जाता है तो इसका इलाज मनोचिकित्सा में उपलब्ध है। समय रहते आपको इसका इलाज करा लेना चाहिए ताकि कोई और गंभीर शारीरिक या मानसिक रोग इसकी वजह से न उत्तपन्न हो सके। आशा करते है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। ऐसी ही कुछ अन्य रोचक जानकारिया हम आपके लिए आगे भी लाते रहेंगे। अतः हमसे जुड़े और अन्य लोगो तक भी इस जानकारी को पहुचाये। 




Tuesday, November 28, 2017

what is Stress? जानिये आखिर तनाव होता क्या है?

तनाव हमेसा हानिकारक नहीं होता है यह आपको सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में और सफलता प्राप्त करने में भी प्रेरणा का स्त्रोत होता है। लेकिन जब निरंतर तनाव में रहते है तब इसका प्रतिकूल प्रभाव आपके मन व शरीर दोनों पर ही पड़ता है। अत्यधिक तनाव लेने से दिन-प्रतिदिन आपका स्वास्थ क्षीण होता जाता है और इससे आपके  चेहरे पर समय से पूर्व ही चिंता की रेखाएं, झर्रियाँ, आँखों के नीचे डार्क सर्कल, आने लगते है और आप जवान होते हुए भी वृद्ध दिखाई देने लगते है। जहा एक ओर अत्यधिक तनाव आपके सौंदर्य को प्रभावित करता है वही इससे तरह-तरह के शारीरिक व मानसिक रोग भी होने लगते है। इस लिए आप सभी को "तनाव क्या है? और किस तरह आप अपने तनाव को नियंत्रित कर सकते है?" के विषय में अधिक से अधिक जानना चाहिए।  

तनाव क्या है?
अब यहाँ प्रश्न उठ खड़ा होता है कि आखिर ये "तवाव है क्या?"  आपके भी मन में भी यह प्रश्न आया ही होगा तो चलिए हम आप के इस प्रश्न का जवाब देते है। "तनाव किसी आवश्यकता या गंभीर खतरे की स्थिति में हमारे शरीर द्वारा की जाने वाली एक प्रतिक्रिया है, फिर चाहे वह आवश्यकता या खतरा काल्पनिक हो वास्तविक।" यह हमारे शरीर के सुरक्षा तंत्र का ही एक हिस्सा है जो कुछ स्थिति में स्वतः ही स्वचालित होता है जैसे जब कोई वस्तु आपकी आँखों की तरफ आती है तब आपकी पलके स्वतः ही बंद हो जाती है, यह प्रतिक्रिया शरीर के सुरक्षा प्रणाली के प्रतिक्रिया का ही एक उदहारण है जो स्वतः ही स्वचालित होती है। ठीक इसी प्रकार से हमारा शरीर तनाव मुक्त होने के लिए भी कुछ ऐसी ही प्रतिक्रियाएं करता है। 

कुछ  मनोवैज्ञानिकों ने इसे "लड़ो या भागो" की प्रतिक्रिया के रूप में भी परिभाषित किया है। इसे आप इस प्रकार से भी समझ सकते है जब युद्ध की स्थिति में आपके सामने कोई ऐसा प्रतिद्वंदी होता ही जो आपके बराबर या आपसे कम शक्तिशाली है तो आपको स्वय पर यह विश्वास होता है कि आप उसे हरा सकते है तब आप उससे लड़ने को तैयार होते है, वही जब यही स्थिति पूर्व से विपरीत होती है जब आपके समक्ष एक या एक से अधिक व्यक्ति जो आपके से काफी बलवान हो, तब आपको ये विश्वास नहीं होता है कि आप उसने लड़ पाएंगे तब आपका उस परिस्थिति से भागने का मन करता है या फिर आप उनसे लडने से इनकार ही कर दे। इस प्रकार अपने देखा की तनाव आपके निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है जिससे कई बार तनाव की दशा में गलत निर्णय भी ले लेते है। 

अत्याधिक तनाव से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव 
जब कोई व्यक्ति अत्यधिक तनाव ग्रस्त रहता है तब उसके स्वास्थ्य पर इससे गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो न केवल उसे शारीरिक बल्कि मान को विभिन्न रोगो से ग्रसित करता है।  अत्यधिक तनाव से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुछ गंभीर प्रतिकूल प्रभाव निम्नलिखित है;
  1. अवसाद और चिंता
  2. किसी भी तरह का दर्द- विशेषतः सर दर्द 
  3. नींद सम्बन्धी समस्याएं
  4. स्व - प्रतिरक्षित रोग
  5. कब्ज़ की शिकायत
  6. त्वचा सम्बन्धी समस्या, जैसे एक्जिमा
  7. दिल की बीमारी
  8. वज़न सम्बन्धी समस्याएं
  9. प्रजनन सम्बन्धी समस्याएं
  10. सोच और स्मृति से सम्बंधित समस्याएं
अत्यधिक तनाव के लक्षण
अब यह प्रश्न उठता है कि हम किसी को अत्यधिक तनाव है कि नहीं यह कैसे पता करे? तो हम को बताना चाहेंगे कि आप अत्यधिक तनाव का पता कुछ लक्षणों के आधार पर लगा सकते है। जिनमे से कुछ इस प्रकार से है;
  • संज्ञानात्मक लक्षण
  1. स्मृति समस्याएं- जैसे भूलना, कुछ याद न कर पाना अादि 
  2. ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता
  3. निर्णय न ले पाना 
  4. नकारात्मक सोच 
  5. उत्सुकता या तीव्र विचार का आना
  6. लगातार चिंतित रहना
  • भावनात्मक लक्षण
  1. अवसाद या सामान्य दुःख
  2. चिंता और हड़बड़ी 
  3. अस्थिर मनोदशा, चिड़चिड़ापन, या क्रोध
  4. अभिभूत होना 
  5. अकेलापन और अलगाव
  6. अन्य मानसिक या भावनात्मक स्वास्थ्य समस्याओं
  • शारीरिक लक्षण
  1. दर्द एवं पीड़ा
  2. दस्त या कब्ज
  3. थकान 
  4. मतली, चक्कर आना
  5. छाती में दर्द, तेज हृदय गति
  6. सेक्स ड्राइव का नुकसान
  7. बार-बार सर्दी या फ्लू
  • व्यवहारत्मक लक्षण
  1. अधिक या कम भोजन
  2. बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद आना 
  3. अलग थलग रहना 
  4. कार्य या जिम्मेदारियों की उपेक्षा करना
  5. तनाव कम करने के लिए शराब, सिगरेट या ड्रग्स का इस्तेमाल करना
  6. असामान्य आदते (जैसे कि दांतो से नाख़ून चबाना, पेसिंग) 

तनाव उत्तपन्न करने वाले कुछ सामान्य कारक 
तनाव के लक्षणों के विषय में तो आपने जान लिया लेकिन अब आपके मन में यह प्रश्न आया होगा कि आखिर तनाव उत्त्पन्न ही क्यों होता है? तो आपको हम बता दे की ये तनाव विभिन्न कारणों से उत्त्पन्न होता है जिन्हे यदि आप नियंत्रण कर ले तो आपको तनाव जैसी समस्या नहीं होगी। तनाव उत्तपन्न करने वाले कारण निम्नलिखित है; 

तनाव के कुछ समान्य कारण
  1. जीवन में गंभीर परिवर्तन
  2. अत्यधिक कार्यभार  
  3. समंधो में कठिनाइया 
  4. वित्तीय समस्याएँ
  5. अत्यधिक व्यस्तता 
  6. बच्चों और परिवार की जिम्मेदारी 
  7. तनाव के शारीरिक या आंतरिक कारण 
  • निराशावाद
  1. अनिश्चितता को स्वीकार करने में असमर्थता
  2. कठोर सोच, लचीलेपन की कमी
  3. नकारात्मक आत्म-विष्लेषण 
  4. अवास्तविक आकांक्षाएं / पूर्णतावाद
  • तनाव उत्तपन्न करने वाली जीवन की कुछ 10 सबसे गंभीर घटनाये 
  1. पति या पत्नी की मृत्यु
  2. तलाक
  3. विवाह जुदाई/ प्रेम में असफलता 
  4. किसी कानून अपराध के लिए जेल 
  5. परिवार के करीबी सदस्य की मृत्यु
  6. चोट या बीमारी
  7. शादी
  8. नौकरी खोना
  9. विवाह सुलह
  10. सेवानिवृत्ति होना 
इस प्रकार अपने देखा कि तनाव क्या है? इसके लक्षण क्या है? और तनाव के उत्तन्न करने वाले कौन-कौन से करक होते है? लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि तनाव वास्तव में अपने आप कोई विशेष समस्या नहीं है बल्कि तनाव जब एक निश्चित सीमा से अधिक होता है तब यह समस्या बनता है। अापने यह भी देखा कि जहा एक ओर तनाव आपको सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है वही जब यह व्यक्ति के क्षमता से अधिक हो जाता है तब यह व्यक्ति के कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है| आप तनाव उत्पन्न करने वाले कारकों पर यदि नियंत्रण पा लेते है तब आप अपने तनाव पर भी नियंत्रण भी पा लेते है। आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपके तनाव से लड़ने क्षमता आप पर ही निर्भर करती है निरंतर अभ्यास कर के आप अपने तनाव से लड़ने की क्षमता को बढ़ा सकते है और सदैव तनाव मुक्त रह सकते है। आशा करते है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। इसके अगले अध्याय में हम आपके लिए "तनाव प्रबंधन" के सम्बन्ध में बताएँगे अतः आप हमसे जुड़े और दुसरो को भी बताये ताकि सभी को इसका लाभ मिल सके।



Monday, November 27, 2017

TOP 5 THE BEST SMART PHONES, Did you see?- in Hindi

आज की युवा पीढ़ी हाईटेक बन गयी है। टेक्नोलॉजी का युग आ रहा है अब हर दिन नयी नयी खूबियों से लैश टेक गैजेट बाजार में आ रहे है उन्ही में से एक है स्मार्टफोन। स्मार्ट के बनने के बाद से ही युवाओ में इसे लेकर क्रेज बढ़ गया है। हर युवा चाहता है की उसके पास बेहतर से भी बेहतर स्मार्ट फ़ोन हो जिसमे अनगिनत खुबिया विधमान हो। आपकी भी कुछ ऐसी ही ख्वाहिश होगी तो हम आपके लिए लाये है कुछ ऐसे ही स्मार्टफोन जानकारी जो आपके इस क्रेज़ को बढ़ा देगी और हमें बिलकुल यकीन है कि आपको हमारी पेशकश जरूर पसंद आएगी। तो ज्यादा देर न करते हुए हम आपको सीधे उनसे सरोकार कराते है;

रेडमी 4 (ब्लैक, 64 जीबी) 
यह भी एक जानीमानी कपमनय रेडमी का स्मार्ट फ़ोन है जिसकी खुबिया लाजवाब है।  इसमें आपको 13 मेगा पिक्सल रियर एंड 5 मेगा पिक्सल फ्रंट कैमरा, 4 जी.बी. रैम और 64 जी.बी. रोम, 5 इंच का एच.डी. डिस्प्ले, 1.4  गीगा हर्ट्ज़ का प्रोसेसर, 4100 एम.ए.एच. की बैटरी लगी है। सबसे अछि बात इसमें ये है कि 3 सिम स्लॉट  लगे है जिसमे से २ में 4जी. सिम सपोर्ट करता है। और इसकी कीमत जान कर आप थोडा हैरान भी होंगे यह आपको इतनी सारी खूबियों के साथ मात्रा 10,999 रु में ऑनलाइन बाजार में मिल जाता है।  

लेनेवो ज़ेड2  प्लस (ब्लैक)
लेनेवो के इस स्मार्टफ़ोन में भी वो सभी खुबिया जो आपको पसंद है। इसमें आपको क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 820, 4 कस्टम क्रियो कोर, 2.15 गीगा का प्रोसेसर, 14 एनएम फिनफेट प्रोसेस, 4 जीबी डीडीआर 4 रैम, 64 जीबी रोम, 13 मेगा पिक्सल रियर और 8 मेगा पिक्सल फ्रंट कैमरा, ड्यूल 4 जी सिम सपोर्ट के साथ 3500 एम.ऐ.एच. की बैटरी मिलती है। यह भी एक जबरदस्त फ़ोन है जिसे आप ऑनलाइन मात्र 10,299 रु में खरीद सकते है।

लेनोवो के 8 नोट (वेनोम ब्लैक, 4 जीबी)
लेनेवो के ही इस स्मार्ट फ़ोन में बेहतर खुबिया आपको मिल जाएँगी। इसमें आपको मिलता है 13 व 5 मेगापिक्सल का ड्यूल बैक कैमरा और 13 मेगा पिक्सल का ही फ्रंट कैमरा, जिससे आप बेहतरीन पिक्चर ले  सकते है। इसके साथ ही एंड्रॉइड वि.7.1.1 नूहैट ऑपरेटिंग सिस्टम 2.3 गीगा हर्ट्ज़ हेलेओ एक्स 23 10-कोर प्रोसेसर, 4 जीबी रैम और 64 जीबी की इंटरनल मेमोरी जिसे आप 128 जीबी तक का एक्सटर्नल मेमोरी लगा कर बढ़ा सकते है। साथ ही साथ इसमें है 15 डब्ल्यू टर्बो चार्जिंग बैटरी, और डुअल 4जी सिम सपोर्ट की सुवधा  तो बताइए है न यह एक बेहत्रारिन स्मार्टफोन। इसे आप ऑनलाइन मात्रा 12,999 रु में खरीद सकते है। 

मोटो जी5 एस  प्लस (लूनर ग्रे, 64 जीबी) 
इसमें वो हर खूबी मौजूद है जो आज के एक युवा को पसंद है जैसा की नाम से ही दिख रहा है की यह मोटोरोला कंपनी का स्मार्टफोन है जो अपने आप में एक जानीमानी कंपनी है। इसमें आपको फ्रंट और रियर दोनों तरफ 13 मेगा पिक्सल का कैमरा मिलेगा बेहतरीन फोटोग्राफ के सकते है। इसके साथ इसमें 4 जी.बी. रैम और 64 जी.बी. रोम, 5.5 इंच का एच.डी. डिस्प्ले, ड्यूल 4जी. सिम सपोर्ट, 2.0 गीगा हर्ट्ज़ का प्रोसेसर, 3000 एम.ए.एच. की बैटरी लगी है कुल मिलाकर देखा हाय तो ये एक बेहतर स्मार्टफोन है। इसे ऑनलाइन आप लगभग 15,999 रु में खरीद सकते है। 

नोकिया 6 (मैट ब्लैक, 32 जीबी)
स्मार्टफोन की बात करे और नोकिया कंपनी के नोकिता 6 स्मार्टफोन की बात न हो तो या गलत होगा। अब तक की सबसे प्रसिद्ध कंपनी नोकिया ने भी अपना एक स्मार्टफोन बाजार में लाया है जिसकी खूबी किसी से कम नहीं है। इसमें आपको मिलता है 3 जीबी रैम और 32 जीबी की इंटरनल मेमोरी, ड्यूल 4 जी सपोर्ट, 3000 एम.ऐ.एच. की बैटरी, फिंगरप्रिंट स्कैनर, ऑल-मेटल यूनीबॉडी और एनएफसी सुविधा, एम्पलीफायर, डॉल्बी डिजिटल साउंड ड्यूल स्पीकर, नोकिया कंपनी का विश्वास। कुल मिलकर ये एक बेहतर स्मार्टफ़ोन है, जिसे आप ऑनलाइन 14,999 रु मात्र में खरीद सकते है। 

हालाकि ऑनलाइन मार्किट में आपको इसी रेंज में कई और भी बेहतर स्मार्टफ़ोन मिल जायेंगे पर आपको ये भी ध्यान देना चाहिए कि फ़ोन किस कंपनी का है, उसके कुछ यूजर जिन्होंने उसे ख़रीदा है उनकी इस फ़ोन के बारे में क्या राय है? और सबसे जरुरी उसे कितनी रेटिंग मिली है इन्ही कुछ बातो का ध्यान रख कर ही आप स्मार्ट फ़ोन ख़रीदे। आशा करते है हमारी ये पेशकश आपको पसंद आयी होगी, हम आगे भी आपके लिए ऐसे ही  विषय में  जानकारिया लाते रहेंगे। अतः आप हमें फॉलो करे ताकि  हमारे लेख आप तक तुरंत पहुंच सके। 

Sunday, November 26, 2017

गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के फ़ोन की निगरानी करे-आप दोनों के बीच कोई तीसरा तो नहीं है?



आज कल अपने ऐसे कई केस के बारे में देखा या सुना होगा कि गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड या पति-पत्नी के बीच कोई तीसरे को लेकर झड़गा हो गया या कोई अपने साथी को धोखा दे रहा है। जिससे न केवल कितने लोगो का रिस्ता ख़त्म हो गया बल्कि कितनो के साथ गंभीर घटनाये तक हो गयी। क्या आपका साथी आपके साथ ईमानदार है? कही वो आपको धोखा तो नहीं दे रहा है? आप इस बात का यदि पता करना चाहते है तो हम आपके लिए ऐसी ही  आवश्यक जानकारी लेकर के आये है। आज कल आप सभी स्मार्टफोन तो प्रयोग करते ही होंगे इसी स्मार्टफोन के माध्यम से आप अपने साथी की प्रत्येक गतिविधियों पर अपनी निगरानी रख सकते है। अब आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिर कैसे? तो आईये हम आपको बताते है;

अपने और अपने साथी के स्मार्टफोन में एक एप्लीकेशन को इनस्टॉल कर के ऐसा कर सकते है। जिसे आप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते है उस एप्लीकेशन का नाम है ट्रैक व्यू ।  इसकी निम्नलिखित खुबिया है-;
  1. इससे आप जीपीएस के माध्यम से अपने साथी की सही सही स्थिति का पता लगा सकते है की वो किस जगह पर है। 
  2. इससे आप लाइव वीडियो भी देख सकते है की आपका साथी क्या कर रहा है इसके साथ ऑडियो भी सुन सकते है। 
  3. साथ ही साथ आपके साथी को इसके बारे में पता भी नहीं चल पायेगा कि आप उस पर निगरानी रखे हुए है। 
  4. आप कही से अपने साथी की निगरानी  है भले वह किसी दूसरे शहर या राज्य में ही क्यों न हो। 
  5. इसे आप अपनी खोये हुए फ़ोन की लोकेशन भी चेक कर सकते है। इसके अतिरिक्त इसमें बहुत खुबिया है। 
ट्रैक व्यू का इस्तेमाल कैसे करे?
इसके लिए आपको निम्नलिखित स्टेप्स का पालन करते हुए प्रयोग कर सकते है;


  1. सर्वप्रथम आप अपने स्मार्टफोन के गूगल प्ले सटोरे में जाये वह सर्च में ट्रैक व्यू लिख कर एप्लीकेशन को खोजे और उसे इनस्टॉल कर ले। फिर यही प्रक्रिया अपने साथी के स्मार्ट फ़ोन में दोहराये। 
  2. फिर दोनों स्मार्टफोन के ट्रैक व्यू एप्लीकेशन में एक ही जीमेल की आईडी से लॉगिन करे।
  3. दोनों में लॉगिन करने बाद आप अपने साथी के स्मार्ट फ़ोन के सेटिंग ऑप्शन में जाए यदि वहा एप्लीकेशन को हाईड करने का ऑप्शन है तो ट्रैक व्यू  अप्लीकेशन को हाईड कर दे या गूगल प्ले में कई एप्लीकेशन हाईड करने वाले अप्लीकेशन से भी आप ऐसा कर सकते है। 
  4. फिर अपने स्मार्ट फ़ोन में ट्रैक व्यू अप्लीकेशन खोले और कनेक्टेड डिवाइस को खोजे और ओपन करे अब आप निगरानी करने के लिए तैयार है। 
  5. सबसे जरुरी बात इसके प्रयोग के लिए ये आवश्यक है कि दोनों फ़ोन  इंटरनेट ऑन हो। 

अब आप निश्चिन्त होकर रह सकते है और अपने साथी की हर गतिविधियों पर नज़र रख सकते है। इससे न केवल आप कभी किसी के धोखे में नहीं पड़ेंगे बल्कि। आप शक, शंशयय, तनाव  जैसी समस्याओं से बच सकते है। और इससे आप एक दूसरे का ध्यान भी रख सकते है किसी गंभीर स्थिति में एक दूसरे को ढूंढ सकते है. प्रायः लोग रस्ते में कही खो जाते है विशेष तौर पर बच्चे। आप उनपर भी ध्यान आसानी से रख सकते है। आशा करते है आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। हम ऐसी ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचते रहेंगे। 

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