राजा रानी के तो आप सभी ने अनगिनत किस्से-कहानी सुने होंगे पर आपने कभी ऐसी कहानी कभी नहीं सुनी होगी जिसमे राजा से बढ़कर रानी को महत्व दिया गया हो। रानी पद्मावती की कहानी भी ऐसी ही एक कहानी है। आज कल आप समाचार पत्रों में रानी पद्मावती के जीवन पर प्रदर्शित होने वाली फिल्म "पद्मावती" को लेकर हो रहे विवाद को तो अपने पढ़ा होगा तो जिसको लेकर राजपूत समाज फिल्म का विरोध कर रहा है। वास्तव में फिल्मे हमारे देश इतिहास के कुछ महान शख्सियतों को जीवंत रूप में हमारे समक्ष लाती है। परन्तु कई बार फिल्म कहानीकार व निर्देशक वास्तविक इतिहास से परे हट कर फिल्म को और रोचक लगने के लिए उसमे काफी मिर्च-मशाला लगा कर प्रदर्शित करते है जो सरासर गलत है इसी को लेकर राजपूत समाज के लोग इस फिल्म का विरोध कर रहे है।
राजा रतन और रानी पद्मावती
कौन है रानी पद्मावती?
अब रानी पद्मावती को लेकर इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है तो आपके मन में "ये रानी पद्मावती कौन है? प्रश्न तो आया ही होगा, तो चलिए हम आप को बताते है की आखिर कौन है ये शख्सियत। रानी पद्मनी, जिसे रानी पद्मावती के नाम से भी जाना जाता है, 13 वीं -14 वीं सदी एक प्रसिद्ध की भारतीय रानी थी। 1540 ई. में मलिक मुहम्मद जयसी द्वारा लिखित एक महाकाव्य काल्पनिक कविता पद्मवत रानी पद्मावती का उल्लेख करने वाला सबसे पहला स्रोत है। पद्मावती सिंघल साम्राज्य (श्रीलंका) की असाधारण सुंदर राजकुमारी थीं। जिसका विवाह चित्तौड़ के राजपूत शासक रतन रावल सेन से हुआ था।
रानी पद्मावती का किला
रानी पद्मावती राजा रतन से कैसे मिली?
आपको ये जान कर के बड़ा ही आश्चर्य होगा कि रानी पद्मावती और राजा रतन मिलाने में एक तोते का हाथ था। जी हा अपने सही समझा एक तोते से, असल में रानी पद्मावती को पशु-पक्षियों से अधिक प्रेम था उनके पास एक बोलने वाला तोता था जिसे वो प्यार से हिरामन बुलाती थी और सदैव उसे अपने पास रखती थी। जब उनके पिता को लगा उनकी बेटी तोते से बहुत अधिक निकटता है तो वो क्रोध में आये और उन्होंने उस तोते को मरने का आदेश दिया परन्तु जब इस बात का पता पद्मावती को हुवा तो उन्होंने तोते को महल से उडा दिया। जब तोता उनके राज्य से बहार उड़ कर जा रहा था एक बहेलिये ने उसे पकड़ लिया और उसे एक पंडित को बेच दिया जो उसे चित्तोड़ ले आया और उसे राजा रतन को बेच दिया। रतन सिह ने जब उस बोलने वाले तोते को देखा तो हुए और उससे बात करने लगे तब तोते ने उन्हें रानी पद्मावती व उनकी सुंदरता के बारे में बताया। राजा रतन ने पद्मावती की खोज शुरू की और जब वह उन्हें मिली तो विवाह प्रस्ताव रख उनसे विवाह कर लिए और पद्मावती को चित्तौड ले आये।
पद्मावती के लिए राजा रतन और अलाउद्दीन खलजी के मध्य युद्ध
दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खलजी, ने भी पद्मावती की सुंदरता के बारे में काफी सुना, और वह उसे किसी भी हालत में पाना चाहता था और उसे प्राप्त करने के लिए अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर लिए और पुरे राज्य को घेर लिया। इस घेरे बंदी की अवधि के दौरान कई घटनाएं हुईं, राजा रतन अपने राज्य व सम्मान के लिए अंत तक लड़ते रहे परन्तु कुंभलनेर का राजा देवपाल भी पद्मावती को पाना चाहता था जिससे युद्ध करते वक्त रतन सिंह की मृत्यु हो गयी और जैम इसकी सूचना रानी पद्मावती को मिली तो वह अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिए जौहर ( अग्नि कुंड में कूद कर अपना अंत करना) कर लिया।
इतिहास के पन्नो में आपको पद्मावती से जुडी कई और रोचक कहानिया मिलेंगी और जो कही न कही गम हो गयी है उन्ही कहानियों को लेकर आज के फ़िल्मकार फिल्म बना रहे जो हमें उस देशकाल की स्थिति से अवगत करने के साथ साथ उन महान हस्तियों के नाम को इतिहास में गुम होने से बचाती है। ऐसी फिल्मे बननी चाहिए ताकि हमारी आगे आने वाली पीढ़ियों को उनके बारे में पता रहे। परन्तु फिल्मकारों को चाहिए कि इतिहास में घटित इन घटनाओ को उसी भाति दिखाना चाहिए जैसे कि वो घटनाये घटित हुयी है न की उसमे अपना मिर्च-मसाला लगा कर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करनी चाहिए।
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