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Wednesday, November 15, 2017

What is Obsessive Compulsive Disorder? in Hindi



मनोग्रस्तता बाध्यता मनोविकृति
  • अमेरिका की कुल आबादी का लगभग 1.२ % आबादी इस रोग से ग्रसित है। 
  • किसी व्यक्ति के जीवन में इससे ग्रसित होने की संभावना २.३% तक होती है।
  • स्त्रियों में पुरुषो की अपेक्षा इससे ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है। 
  • स्त्रियों में अधिक साफ सफाई को लेकर मोगरास्तता अधिक होती है वही पुरुषो में शंका करने की मनोग्रस्तता अधिक होती है।
  • भारत में किसी सामान्य व्यक्ति में इसके होने की संभावना लगभग 3.२% ग्रसित होने की सम्भावना होती है। 
  • पुरुषो में=३.५% और स्त्रियों में 3.२% तक ग्रसित होने की सम्भावना होती है।  
मनोग्रस्तता बाध्यता मनोविकृति क्या है?
दुश्चिंता मनोस्नायु विकृति रोगो के प्रकारो में से ही एक है मनोग्रस्तता बाध्यता मनोविकृति। इसमें दो विशेष प्रकार की घटनाये घटित होती है एक है मनोग्रस्तता और दूसरी बाध्यता। मनोग्रस्तता में व्यक्ति के मन में बार एक ही प्रकार का विचार चित्र व आवेग के रूप में बार बार आता है जिससे व्यक्ति सदैव परेशान रहता है उस विचार, इच्छा, आवेग को शांत करने अथवा उस पर नियंत्रण पाने के लिए वह निरंतर प्रयास रत्न रहता है। बाध्यता में व्यक्ति उस बार बार आने वाले विचार पर नियंत्रण पाने के लिए बार बार कोई अनुक्रिया करता है। इस प्रकार से इस रोग में व्यक्ति के मन में एक ही तरह का विचार बार बार आता है जिस पर नियंत्रण पाने के लिए व्यक्ति कोई अनुक्रिया बार बार करता है। 

उदाहरण-: एक व्यक्ति को यह लगता है की उसे कोई संक्रामक रोग हो जायेगा और उसके मन में संक्रामक रोगो से ग्रसित होने का उसे विचार बार बार आता है जो भय भीत करता है उसे लगता है की उसके हाथ में बैक्ट्रिया लग गए है जिससे उसे रोग हो जायेगा इस लिए वह अपना हाथ बार बार धोता है और कई बार तो वह घंटो तक अपना हाथ धोता ही रहता है जिससे उसके हाथ ख़राब होने लगते है और हाथो की अंगुलियो में एक समय पश्चात् घाव भी होने लगता है। 

इसके कुछ प्रमुख वर्गीकरण इस प्रकार है-:
  1. अधिक साफ सफाई करना या अधिक हाथ या पैर धुलना, या अधिक देर तक नहाना। 
  2. शंका होना; जैसे बार बार ये चेक करना की विजली का स्विच या गैस का रेगुलेटर बंद है की नहीं। 
  3. बार बार मन में गिनती-गिनना। 
  4. चीजों को हमेसा व्यवस्थित रखना और व्यवस्थित न होने पर परेशान होंना।
  5. प्रत्येक चीजों को अत्यधिक संभाल रखना भले वह व्यर्थ की वास्तु क्यों न हो। 
मनोग्रस्तता के सामान्य लक्षण-:
  • रोगाणु या गंदगी से दूषित होने या दूसरों को दूषित होने का डर। 
  • नियंत्रण खोने और अपने आप को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने का डर। 
  • मन में यौन या हिंसक विचारों के चित्र बार बार आना। 
  • धार्मिक या नैतिक विचारों पर अत्यधिक ध्यान। 
  • आवश्यक वस्तुओ के खोने का निरंतर भय लगा रहना । 
  • वस्तुओ को व्यवस्थित रखने का निरंतर प्रयास करना। 
  • अत्यधिक अंधविश्वास; भाग्यशाली या दुर्भाग्यशाली मानना।  
बाध्यता के सामान्य लक्षण-:

  • चीजों की अत्यधिक बार बार-जांच करना, जैसे ताले, उपकरण, और स्विच। 
  • अपने प्रियजनों से बार-बार जाँच करने के लिए यह सुनिश्चित करना कि वे सुरक्षित हैं। 
  • चिंता को कम करने के लिए गिनती, अादि, कुछ शब्द दोहराते हैं। 
  • बहुत समय साफ या सफाई करना
  • चीजों को अत्यधिक व्यवस्थित करना। 
  • धार्मिक डर से उत्पन्न होने वाली अनुष्ठानों से अत्यधिक प्रार्थना करना। 
  • पुरानी अखबारों या खाली खाद्य कंटेनरों जैसे "जंक" जमा करना। 

बच्चो में मनोग्रस्तता बाध्यता मनोविकृति-:
हालांकि मनोग्रस्तता बाध्यता मनोविकृति की शुरुआत आमतौर पर किशोरावस्था या युवा वयस्कता के दौरान होती है। लेकिन कभी-कभी छोटे बच्चों में भी ऐसे लक्षण होते हैं जो ओसीडी की तरह दिखाई देते हैं। हालांकि, एडीएचडी, आत्मकेंद्रित, और टॉरेट्स सिंड्रोम जैसे अन्य विकारों के लक्षण भी मनोग्रस्तता बाध्यता मनोविकृति की तरह लग सकते हैं, इसलिए किसी भी निदान के पहले एक संपूर्ण चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक परीक्षा आवश्यक है।

मनोग्रस्तता बाध्यता मनोविकृति का उपचार-: इसका उपचार मनोचिकित्सालय में होता है जहाँ इस रोग के उपचार के लिए अलग अलग विशेषज्ञ रहते है। इस रोग के उपचार में कुछ विशेष दवाओं और मनोचिकित्सा पद्धतियों का प्रओग किया जाता है। यदि आपके आस पास किसी को इसके कुछ लक्षण हो तो एक बार मनोचिकित्सक से परामर्श अवश्य कर ले क्युकी रोग के गंभीर होने पर इस रोग के इलाज में काफी कठिनाईया भी आती है और उपचार में लगने वाली अवधि भी तब काफी बढ़ जाती है। अतः रोग के गंभीर होने के पूर्व ही उचित इलाज अवश्य करा ले। 

2 comments:

  1. बहुत अच्छा लेख! भारतीय परिवेश में मनोरोग से सम्बंधित जागरूकता न के बराबर है ऐसे में इस प्रकार की लेख की आवश्यकता है।

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  2. बहुत अच्छा लेख! भारतीय परिवेश में मनोरोग से सम्बंधित जागरूकता न के बराबर है ऐसे में इस प्रकार की लेख की आवश्यकता है।

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